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जनाजों में बिलखती भीड़ कश्मीर के लिए कोई अनोखा नजारा नहीं है. शुक्रवार को अनंतनाग के पंचपोरा गांव में भी मंजर कुछ ऐसा ही था लेकिन इस बार लोग किसी अलगाववादी का नहीं बल्कि सेना के शहीद जवान का मातम मनाने के लिए घरों से निकले.
नम आंखों से विदाई लांस नायक मोहिउद्दीन राठेर को हजारों नम आंखों ने विदाई दी. इनमें राठेर के गांववालों के साथ आसपास के इलाकों के हजारों लोग भी शामिल थे. जैसे ही तिरंगे में लिपटा राठेर का शव सेना के वाहन में गांव की मस्जिद पहुंचाया गया, भीड़ खुद-ब-खुद उमड़ पड़ी. राष्ट्रीय राइफल्स के अफसरों की मौजूदगी में नमाज-ए-जनाजा पढ़ी गई.
महिलाओं के हजूम को राठेर की पत्नी शाहजादा अख्तर (26) को सांत्वना देते हुए देखा गया. जिस वक्त राठेर को बंदूकों की सलामी दी गई, कई लोग अपने आंसू नहीं रोक पाये. दक्षिणी कश्मीर का ये इलाका हिज्बुल मुजाहिदीन का गढ़ माना जाता है. लिहाजा एक सैनिक के लिए लोगों के इस जज्बात से खुद सेना भी हैरान है.
इससे पहले श्रीनगर में आर्मी चीफ बिपिन रावत ने भी राठेर को श्रद्धांजलि दी थी. छिन गया चश्मो-चिराग 35 साल के मोहिउद्दीन ने पिछले महीने ही अपने बेटे आहिल का पहला जन्मदिन मनाया था. अगले महीने उनकी बहन की शादी होने वाली थी. स्थानीय लोगों के मुताबिक मोहिउद्दीन हर किसी की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे. उनके पिता दिमागी बीमारी का शिकार हैं जबकि पिछले साल ही मां का ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ था. मोहिउद्दीन हर महीने अपने माता-पिता की दवाइयां भेजा करते थे.
आतंकी हमले में हुए शहीद राष्ट्रीय राइफल्स की 44वीं बटालियन में तैनात गुरुवार को शोपियां में आतंकियों का निशाना बने थे. वो साथियों के साथ कुन्गु गांव से एक ऑपरेशन के बाद लौट रहे थे जब कुछ आतंकियों ने उनके काफिले पर हमला कर दिया. हमले में मोहिउद्दीन के साथ उनके दो साथी भी शहीद हुए थे. जिस जगह ये हमला हुआ वो मोहिउद्दीन के घर से बमुश्किल 25 किलोमीटर दूर है
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