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अशोक कुमार शर्मा : पारिवारिक कलह मे मुलायम सिंह जैसे दिग्गज नेता को हाशिये पर डाल दिया। जो नेता विरोधियों से पस्त नहीं हुआ उसे घर के झगड़े ने चित्त कर दिया।
लेकिन रविवार को उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि अखिलेश और प्रतीक उनकी दो आंखें हैं। दोनों उनके बेटे हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव से उनकी कोई नाराजगी नहीं। उन पर लगे सारे आरोप बेबुनियाद हैं। साधना गुप्ता की इस सफाई का अब क्या मतलब है ? चुनाव से पहले इस झगड़े को क्यों नहीं सुलझाया गया ?
अक्टूबर 2016 में जब सपा में सियासी झंझट शुरू हुआ था तब पार्टी के एमएलसी उदयवीर सिंह ने आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव की सौतेली मां उनके खिलाफ साजिश कर रही हैं। इस बयान से पार्टी में खलबली मच गयी। मुलायम सिंह ने उदयवीर को पार्टी से बाहर कर दिया। तब पहली बार अधिकांश लोगों ने जाना कि अखिलेश की कोई सौतेली मां भी हैं।
मुलायम सिंह यादव ने दो शादियां की हैं, इसका पता दुनिया को तब चला जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। आय से अधिक सम्पत्ति मामले में मुलायम सिंह ने 2007 में हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि साधना गुप्ता उनकी पत्नी हैं और प्रतीक उनका बेटा। इसके पहले साधना गुप्ता के साथ अपने संबंध को मुलायम ने कभी सार्वजनिक नहीं किया था।
कहा जाता है कि 1982 में जब मुलायम सिंह लोकदल अध्यक्ष बने उस वक्त साधना गुप्ता पार्टी की एक सामान्य कार्यकर्ता थीं। फिर उनकी मुलायम सिंह से जानपहचान बढ़ी। सीबीआई के दस्तावेज के मुताबिक साधना गुप्ता की पहली शादी फर्रुखाबाद के एक सामान्य कारोबारी चन्द्र प्रकाश गुप्ता के साथ हुई थी। 1990 में साधना गुप्ता का चन्द्र प्रकाश के साथ तलाक हो गया।
1999 में सपा के एक कार्यक्रम में साधना गुप्ता पहली बार मुलायम सिंह के साथ दिखीं। मुलायम सिंह का तब राजनीति में इतना दबदबा था कि किसी को कुछ पूछने की हिम्मत नहीं थी। मुलायम सिंह ने भी कभी किसी को कुछ बताया नहीं। चर्चा के मुताबिक अमर सिंह को इस बात की जानकारी थी।
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इसी बीच 2003 में मुलायम सिंह की पहली पत्नी मालती देवी का निधन हो गया। वे अस्थमा की मरीज थीं। कहा जाता है कि मालती देवी की मौत के बाद साधना गुप्ता ने मुलायम सिंह पर दवाब बढ़ा दिया कि वे रिश्ते को मान्यता दें। लेकिन तब भी मुलायम सिंह इस संबंध को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे। घर परिवार को रजमंद करना मुश्किल था।
कहा जाता है कि इसके बाद साधना गुप्ता ने अमर सिंह से मुलाकात की और उनके रिश्ते को मान्यता दिलाने के लिए मुलायम सिंह को मनाने की गुजारिश की। अमर सिंह मुलायम सिंह यादव को मनाने में जुट गये। अखिलेश यादव शुरू से इस बात के विरोधी थे। वे किसी भी कीमत पर साधना गुप्ता को परिवार में नहीं आने देना चाहते थे। 2006 में आखिरकार मुलायम सिंह मान गये । इसके बाद ही मुलायम सिंह ने आय से अधिक सम्पत्ति वाले केस में साधना गुप्ता को कागजी तौर पर पत्नी मानने का फैसला लिया। मालूम हो कि जब मुलायम-अखिलेश लड़ाई चरम पर थी तब मुलायम सिंह ने कहा था कि अमर सिंह ने ही उन्हें जेल जाने बचाया था। इसके बाद अखिलेश, अमर सिंह के कट्टर विरोधी हो गये।
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