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मैं कभी-कभी सचमुच में चाहता हूँ की 'उपकरण' जैसे की स्मार्टफोन, आईपैड, टैबलेट का आविष्कार नहीं होता तो सही होता। ज़रूर, वे महान, अविश्वसनीय रूप से उपयोगी हैं लेकिन वे मज़ेदार रूप समय-हत्यारे भी हैं। लेकिन जिस तरह से आज के युवा इन सब पे समय व्यर्थ करते हैं वो काफी भयावह है।
पहली नज़र में आपको भी सोशल मीडिया जैसी की फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप्प ज्यादा चलाने के लिए माँ मना करती होंगी तो तकलीफ और कभी कभी गुस्सा भी जरूर आता होगा मगर बाद में आप उनकी बातों को जरूर याद करने वाले हैं।
आज मैं आपको सोशल मीडिया ने कैसे संबंधो में कड़वाहट लाया है और ये कैसे खतरनाक है वो भी बताने वाला हूँ।
भवनात्नक कनेक्शन की कमी
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए बातचीत की गुणवत्ता बहुत भयानक है क्योंकि आप दूसरे व्यक्ति की भावना या उत्साह को ढंग से समझ नहीं सकते।
फेस-टू-फेस संचार कौशल को घटाता है
मोबाइल पे निर्भर रहने वाले व्यक्ति को लोगों या किसी लड़की/लड़का से सामने बात करने में भी कठिनाई होने लगती है।
सोशल नेटवर्किंग और सोशल मीडिया के नुकसान बढ़ता ही रहेगा, इस बीच आप अपनों लोगों/ छोटे भाइयों/बहनों को इस पोस्ट को शेयर कर उन्हें पहले ही सचेत कर दें ताकि बाद में वो किसी परेशानी में ना फँस जाएँ।
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