विजय रुपाणी ने मंगलवार को दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। रुपाणी के अलावा डिप्टी सीएम नितिन पटेल और राज्य मंत्रिपरिषद के 19 सदस्यों ने भी शपथ ली। गांधीनगर के सचिवालय मैदान में आयोजित गुजरात सरकार के इस शपथग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के कई बड़े नेता और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए।
चुनाव परिणाम के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी रुपाणी की बजाय किसी और को मुख्यमंत्री बना सकती है। हालांकि, अब इन कयासों पर विराम लगाते हुए रुपाणी ने दूसरी बार प्रदेश की सत्ता संभाल ली है। आज विजय रुपाणी राजनीति का चमकता चेहरा हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि गुजरात के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कभी जेल भी जा चुके हैं। आइये आपको बताते हैं उनके बारे में ऐसी ही कुछ खास बातें।
म्यांमार में हुआ जन्म
2 अगस्त 1956 को म्यांमार के यांगून (तब रंगून) में जन्मे विजय रुपाणी ने गुजरात के सीएम के रूप में दूसरी पारी शुरू की है। 1960 में बर्मा में राजनीतिक उथल-पुथल के चलते उनका परिवार गुजरात के राजकोट आ गया था। उन्होंने सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से बीए की पढ़ाई की। छात्र जीवन के दौरान ही वे एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ गए। रुपाणी जॉगिंग के बहुत शौकीन हैं और रोजाना दो घंटे जॉगिंग करते हैं। वे राजकोट वॉकिंग क्लब के अध्यक्ष भी हैं।
इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए
बहुत कम लोग जानते होंगे कि देश में इमरजेंसी के दौरान रुपाणी भावनगर और भुज की जेल में रह चुके हैं। विजय रुपाणी ने एक बार मीडिया को बताया था कि उन्होंने जेल में रहते हुए ही स्वाधीनता की कीमत जानी। वे गुजरात के अकेले ऐसे बीजेपी मंत्री हैं, जो इमरजेंसी में जेल जा चुके हैं। 1971 से संघ से जुड़े रहने वाले रुपाणी का पीएम नरेंद्र मोदी से परिचय तभी से है।
छात्र राजनीति से की शुरुआत
बीए, एलएलबी की पढ़ाई करने वाले रुपाणी ने पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ छात्र राजनीति में एंट्री की और फिर बाद में संघ से जुड़े। वे राजकोट में लंबे समय तक मेयर भी रहे। 2006 में बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजा। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पसंद पर उन्हें गुजरात बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया था। 2014 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता।
इस घटना के बाद छोड़ना चाहते थे राजनीति
रुपाणी के करीबियों के अनुसार, डेढ़ दशक पहले वे तब राजनीति छोड़ना चाहते थे, जब उनके बेटे की छत से गिरने की वजह से मौत हो गई थी। हालांकि, करीबियों ने मिलकर उन्हें संभाला। दरअसल, विजय रुपाणी ने अपनी तीसरी संतान पुजित को 15 साल पहले खो दिया था। उसकी महज 3 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी। उनके बेटे पुजित के नाम पर एक ट्रस्ट चलता है, जो गरीब बच्चों की मदद करता है। उनकी एक बेटी लंदन में है और एक बेटा अभी पढ़ाई कर रहा है
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