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संभल। अगले कुछ महीनों में समाजसेवी अन्ना हजारे मोदी सरकार के लिए मुसीबत बन सकते हैं, जिसके लिए वे अगले साल मार्च में जन लोकपाल बिल व किसानों के मुद्दे को लेकर आन्दोलन करेंगे।
संभल नगर पालिका मैदान में अन्ना ने दम भरते हुए आज कहा कि 23 मार्च 2018 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर शुरू होने वाला किसान आंदोलन जन लोकपाल के लिए आर-पार की लड़ाई साबित होगा। उन्होंने कहा कि एक बार हम जो अनशन शुरू करेंगे तो फिर मांग पूरी होने के बाद ही समाप्त होगा।
वहीं इस दौरान कार्यक्रम के लिए अन्ना हजारे जब शहर में पहुंचे तो कांग्रेसियों ने विरोध करते हुए उन्हें काले झंडे दिखाए। अब मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने जा रहे अन्ना हजारे को कांग्रेसियों ने काले झंडे क्यों दिखाए ? ये एक बड़ा सवाल है।
दअरसल रविवार को किसानों की जनसभा को संबोधित करने आए अन्ना हजारे ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि जन लोकपाल को अधिकार मिले बिना हमारा मकसद अधूरा है। इसके लिए अब आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी। अन्ना हजारे ने कहा कि देश के किसान तमाम तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसलिए इस बार के आंदोलन में किसानों के हक की आवाज भी बुलंद की जाएगी।
यहां बता दें कि अन्ना हजारे भाजपा सरकार बनने के बाद एकाएक गायब से हो गए थे, उन्हें शायद उम्मीद थी कि भाजपा लोकपाल बिल लाएगी, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी कुछ ऐसा नहीं हुआ। फिर दिल्ली और उत्तर भारत में अन्ना अकेले भी पड़ गए। इस बार उन्हें साथ मिला है भारतीय किसान यूनियन (असली) के मुखिया चौधरी हरपाल सिंह का।
हरपाल पिछले लम्बे अरसे से किसानों की मांगों को लेकर आन्दोलन चला रहे हैं। इसलिए रविवार को अन्ना संभल पहुंचे। इससे पहले इसी महीने की 13 तारीख को अन्ना हजारे ने बुलंदशहर के औरंगाबाद में भी सभा की थी। कहा जाता है कि 2011 में अन्ना हजारे के आंदोलन से ही कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ ऐसा माहौल बना कि उसको सत्ता से बेदखल होना पड़ा। अन्ना के आंदोलन से ही जनसमर्थन पाने वाले अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया आज दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री हैं।
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