नई दिल्ली । केंद्र सरकार जल्द ही करीब 343 निश्चित खुराक मिश्रण (एफडीसी) वाली दवाओं को प्रतिबंधित कर सकती है। ये दवाएं मरीजों के लिए हानिकारक बताई गईं हैं। प्रतिबंधित हो चुकी दवाओं का मार्केट साइज अनुमानित रुप से 200 से 250 अरब रुपये का है। सरकार अगर ऐसा करती है तो देश की शीर्ष दवा कंपनियां प्रभावित होंगी। यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट के जरिए सामने आई है।
पेसेंट एडवोकेसी ग्रुप का दावा है कि अन्य एफडीसी भी निशाने पर हैं। इन 343 एफडीसी का बाजार करीब 20 से 22 अरब रुपये का है। एफडीसी एक ऐसी दवा होती है जिसमें दो या उससे अधिक सक्रिय तत्व एक निश्चित खुराक अनुपात में होते हैं। मार्च 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने चंद्रकांत कोकटे समिति की सिफारिशों के आधार पर 349 एफडीसी पर प्रतिबंध लगा दिया था।
समिति ने पाया था कि ये दवाएं अव्यवहारिक हो गई हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। दवा निर्माताओं की ओर से सरकार के इस कदम को अदालत में चुनौती दिए जाने के बाद पिछले साल दिसंबर में उच्चतम न्यायालय ने औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) को इसकी समीक्षा करने को कहा था।
डीटीएबी की बीते दिन नई दिल्ली में हुई बैठक में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया था। इस समिति ने 349 प्रतिबंधित एफडीसी की जांच की और फिर उन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। देश के दवा बाजार में एफडीसी का योगदान 1.8 फीसद का है। जिसे करीब 6,000 ब्रांड तैयार करते हैं। अधिकांश दवाएं ऐबट हेल्थकेयर, मैनकाइंड फार्मा, वॉकहार्ट, एल्केम, ल्यूपिन, ग्लेनमार्क, सन फार्मा, एरिस लाइफसाइंसेज और इप्का बनाती हैं।
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