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भोपाल। फर्जी जाति प्रमाण पत्र की सत्यता सामने आने के बाद भी शिवराज सरकार बेतूल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद ज्योति धुर्वे के खिलाफ कार्रवाई से बच रही हैंl इस मामले में सरकार हाईकोर्ट की भी नहीं सुन रही हैंl अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट तीन बार सरकार से जवाब मांग चुका हैंl
लेकिन सरकार जनजातीय कार्य विभाग के अफसरों के बार-बार तबादले की मजबूरी बता कर जवाब देने के लिए समय मांग रही हैंl सांसद की जाति प्रमाण पत्र को लेकर का 10 साल से फैसला नहीं ले पाई, यह मामला वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव एवं सरकार व न्यायिक प्रक्रिया के बीच सुजल रहा हैंl जाति प्रमाण प्रमाण पत्रों की जांच के लिए सरकार पर गठित छानबीन समिति के अध्यक्ष अशोक साह 1 अप्रैल 2017 को मामले की सुनवाई की थी,
तब सांसद की जाति प्रमाण पत्र की स्वक्षता को लेकर ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर पाईl प्रमाण पत्रों को फर्जी ठहरा दिया समिति ने फैसला तो लिया लेकिन आदेश जारी होने से शासन ने कुछ और दस्तावेज प्रस्तुत करने का समय मांग लिया और समिति में सजगता से दे दियाl इसके बाद छानबीन समिति ने मामले को कभी भी सुनवाई में नहीं लियाl इस संबंध में जनजातीय विभाग के प्रमुख सचिव एस एन मिश्रा ने कहा कि मामले में कार्रवाई चल रही हैI
*हाईकोर्ट बार-बार मांग रहा है जवाब* मामले में अंतिम फैसला आने पर शिकायतकर्ता एडवोकेट शंकर ने जबलपुर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की हैंl इसमें कोर्ट से न्याय दिलाने की मांग की हैl हाई कोर्ट भी तीन बार सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग चुका हैंl लेकिन सरकार हर बार जनजाति कार्य विभाग के अफसरों के तबादले का तर्क देकर समय मांग रही हैंl अप्रैल 2007 से आज तक विभाग में अधिकारियों के कई बार ट्रांसफर हो चुके हैंl
*यह है मामला* सांसद ज्योति धुर्वे बालाघाट की मूल निवासी हैं पमार जाति से हैंl वर्ष 2017 में छानबीन समिति के सामने सांसद ने इन आरोपों को खारिज किया लेकिन ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर पाईl
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