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लखनऊ. शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने को लेकर मामला गर्माता जा रहा है। महिला शिक्षामित्रों ने खुद आगे आकर योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महिलाओं ने राजधानी में मुंडन करवाकर विरोध दर्ज करवाया।
गौरतलब है कि शिक्षामित्रों के आन्दोलन को आज एक साल पूरे हो रहे हैं। यही वजह है कि शिक्षामित्र इसे काला दिवस के रूप में मना रहे हैं। एक साल पूरे हुए इस आंदोलन ने अब एक नया रुख ले लिया है।
मुंडन करवा दर्ज किया इतिहास
आंदोलन के एक साल पूरे होने पर पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी मुंडन करवाकर इतिहास में इस दिन को दर्ज करवा दिया। इस तरह का विरोध प्रदर्शन आजादी के बाद पहली बार देखने को मिला।
याद आये अखिलेश यादव
समायोजन की बहाली न होने सभी शिक्षामित्र सरकार से खफा हैं। इस मौके पर उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बरबस याद आये। इसके बाद शिक्षामित्रों ने जमकर नारेबाजी की। उनकी मांग है कि शिक्षामित्र मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।
5 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाए गए 1.70 लाख शिक्षामित्रों के समायोजन को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लाखों शिक्षामित्र निराश हुए थे। सैकड़ों शिक्षामित्रों ने आत्महत्या कर ली थी।
700 से ज्यादा शिक्षामित्रों की जा चुकी है जान
कोर्ट के इस फैसले के बाद लखनऊ के लक्ष्मण मेला ग्राउंड पर 38 दिनों तक लगातार धरना प्रदर्शन का दौर चला था। साल भर चले आंदोलन के दौरान अब तक 700 से ज्यादा शिक्षामित्रों की जान जा चुकी है।
सरकार से समाधान निकालने की मांग
उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संघ के बैनर तले हजारों की संख्या में शिक्षामित्र एक बार फिर धरने पर बैठ गए हैं। उनकी मांग है कि उन्हें पैरा टीचर बनाया जाए। जो शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण हैं, उन्हें बिना लिखित परीक्षा के नियुक्ति दी जाए। इसके अलावा असमायोजित शिक्षामित्रों के लिए भी सरकार से कोई समाधान निकालने की मांग की गई है। इस कड़ी में लखनऊ के एनेक्सी भवन में 13 जून को सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों के 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी।
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