Friday, July 6, 2018

डेढ़ लाख का इनामी डकैत महेंद्र पासी पुलिस एनकाउंटर में ढेर

डेढ़ लाख का इनामी डकैत महेंद्र पासी पुलिस एनकाउंटर में ढेर, जानिए किस तरह से फैला रखा था आतंक
डेढ़ लाख का इनामी डकैत महेंद्र पासी
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एमपी में आतंक का पर्याय बन चुके डेढ़ लाख के इनामी डकैत को यूपी पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। यूपी के इंस्पेक्टर भी घायल हुए हैं जिनको उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया है। इलाहाबाद जिले के फूलपुर थाना अंतर्गत इफको फैक्ट्री के समीप बुधवार की रात डेढ़ लाख का इनामी डकैत महेंद्र पासी उर्फ धोनी केवटों के घर में छुपा हुआ था। इसकी सूचना मिलने पर देर रात इलाहाबाद क्राइम ब्रांच व फूलपुर थाने की पुलिस ने घेराबंदी कर दी।
पुलिस ने जैसे ही डकैत को सरेंडर करने के लिए ललकारा तो उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी फायरिंग की जिसमें डकैत को गोली लगी और वह वही ढेर हो गया। मुठभेड़ में फूलपुर थाने के इंस्पेक्टर संजय राय भी घायल हो गए जिनको तत्काल उपचार के लिए इलाहाबाद के एसआरएन अस्पताल ले जाया गया। उनके बाह में गोली लगी है। मारे गए डकैत के कब्जे से पुलिस ने असलहा बरामद किया है। देर रात उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाया गया। यह डकैत यूपी व एमपी में वांटेड था और पुलिस लंबे समय से इसकी तलाश कर रही थी। इसके खिलाफ हत्या अपहरण जैसे कई संगीन अपराध दर्ज थे। एमपी पुलिस ने डकैत खिलाफ 50,000 व यूपी पुलिस ने 100000 का इनाम घोषित किया था।

पुणे व सूरत तक एमपी पुलिस ने किया था पीछा
गिरोह के सभी बदमाशों के पकड़े जाने के बाद धोनी जंगल में अकेला पड़ गया था। जहां वह खतरा महसूस कर रहा था। कुछ माह पूर्व पुणे चला गया था। उसका लोकेशन ट्रेस होने पर आईजी द्वारा गठित टीम पुणे गई थी लेकिन वह पुणे से भागकर सूरत आ गया। पुलिस की टीम ने सूरत में भी उसकी काफी तलाश की थी लेकिन वह नहीं मिला। पुलिस के मूवमेंट की खबर डकैत को लग गई थी जो वहां से भागकर इलाहाबाद आ गया और यहां कुछ केवटों यहां छिपकर फरारी काट रहा था।

यादव व बबली कोल गिरोह से था खतरा
डेढ़ लाख के इनामी डकैत को गौरी यादव व बबली कोल गिरोह से खतरा था। अपने गिरोह के सरगना रझउआ यादव की हत्या उसने गिरोह का सरगना बनने के लिए कर दी थी। इस बात से डकैत गौरी यादव उससे नाराज चल रहा था और वह धोनी की हत्या करने के फिराक में घूम रहा था। करीब 3 माह पूर्व यूपी के रैपुरा थाना क्षेत्र में गौरी यादव व धोनी गिरोह के बीच गैंगवार हुई थी जिसमें धोनी बच निकला था। धोनी ने यूपी के आदिवासियों का उपयोग अपहरण की वारदातों में किया था। अपहरण के लिए वह आदिवासियों को बुलाता था और फिरौती की रकम मिलने के बाद उन्हें दो तीन हजार रुपए देकर भगा देता था। इस बात से बबली कोल भी उसे असंतुष्ट चल रहा था।
तराई में आतंक का पर्याय बन चुका था धोनी
जिले के तराई अंचल में डकैत महेंद्र पासी उर्फ धोनी आतंक का पर्याय बना हुआ था जिसको पकडऩे के लिए एमपी पुलिस एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थी। उसके गैंग के सभी कोर मेंबर को पकडऩे के बाद भी पुलिस ने तराई में पकड़ ढीली नहीं की जिससे इस डकैत के आतंक का खात्मा हो गया। तराई अंचल में इस गैंग के आतंक की शुरुआत 14 अगस्त 2017 को हुई थी जब इस गैंग ने पहली बार डभौरा थाने के हरदौली रोड से रिटायर्ड डिप्टी रेंजर प्रभुनाथ त्रिपाठी का अपहरण किया था। करीब सप्ताह भर उनको बंधक बनाकर रखने के बाद गिरोह ने फिरौती लेकर छोड़ दिया था। उसके बाद अपने गैंग के सरगना राझोआ यादव की हत्या कर वह खुद गैंग का लीडर बन गया। इसके बाद डकैत ने तराई में एक के बाद एक तीन और अपहरण की वारदातों को अंजाम देकर पुलिस के होश उड़ा दिए। पूरे तराई अंचल में धोनी गैंग का आतंक था। स्थिति यह बन गई थी कि स्थानीय लोग जंगलों का रुख करने में भी कांपते थे। धोनी के खात्मे की खबर लोगों के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है।

आईजी व तत्कालीन एसपी ने निभाई थी अहम भूमिका
तराई में धोनी गैंग के खात्मे में आईजी उमेश जोगा व तत्कालीन एसपी ललित शाक्यवार ने अहम भूमिका निभाई थी। जिस समय आईजी ने रीवा रेंज की कमान संभाली थी उस समय धोनी गैंग का आतंक चरम पर था। उन्होंने इस गैंग के सफाए के लिए रणनीति तैयार की। तत्कालीन एसपी ललित शाक्यवार खुद जंगल में उतरे और करीब 15 दिन उन्होंने तराई में सर्चिंग कर स्थानीय लोगों के मन में पुलिस के प्रति विश्वास जगाया। इसके बाद पुलिस ने धोनी गैंग पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था।
पहले रसद पहुंचाने वाले पकड़े गए
गिरोह को रसद पहुंचाने वाले तीन लोगों को पकड़ा गया। पुलिस ने 2 माह के भीतर ही गिरोह के कोर मेंबर अमरजीत उर्फ बाबा कोल निवासी मुड़कटा, समय कुमार उर्फ देवा कोल निवासी कमरौहा, राजकुमार कोल निवासी कमरौहा, बृजेश कोल निवासी धोहाई, लाला उर्फ अनूप कोल निवासी मानिकपुर को पकड़ा था जो धोनी गैंग के मुख्य सदस्य थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद इस गिरोह की कमर टूट गई और खुद धोनी जंगल में छिपते घूम रहा था।

किन-किन वारदातों को दिया था अंजाम
1. डभौरा थाना अंतर्गत हरदौली रोड से धोनी गैंग ने रिटायर्ड डिप्टी रेंजर प्रभुनाथ त्रिपाठी का 17 अगस्त को अपहरण किया था और 1 सप्ताह तक अपने पास बंधक बनाकर रखें थे।
2. डभौरा थाना अंतर्गत छमुहा जंगल से वैद्य राम सिंह बहेलिया निवासी डभौरा का 29 नवंबर को अपहरण किया था जिनको 3 दिन तक बंधक बनाकर रखने के बाद डकैतों ने छोड़ा था।
3. पनवार थाना अंतर्गत ओवरी नदी से नवंबर माह में ज्ञानेंद्र कहार का अपहरण किया था। उसे 15 दिन तक डकैत अपने पास बंधक बनाकर रखे हुए थे।
4. पनवार थाना अंतर्गत हरदौली जंगल से सुरेश पटेल व भतीजे तरेश पटेल का जनवरी माह में अपहरण किया था। एक माह बाद डकैतों ने फिरौती लेकर छोड़ा था।
टारगेट में बबली कोल
धोनी गिरोह का पहले एमपी पुलिस सफाया कर चुकी थी। गिरोह के सभी सदस्यों को पकड़ लिया गया था। सरगना धोनी को पकडऩे के लिए भी एमपी पुलिस लगातार दबाव बनाए हुए थे जिससे यूपी पुलिस ने धोनी को मुठभेड़ में मार गिराया। अब बबली कोल गिरोह एमपी पुलिस के टारगेट में है। अब इस गिरोह के सफाए के लिए पुलिस काम करेगी।
उमेश जोगा, आईजी रीवा

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