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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि संसद को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामलों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए नया कानून बनाने पर विचार करना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘भीड़तंत्र की इन भयावह गतिविधियों’ को नया चलन नहीं बनने दिया जा सकता.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने भीड़ और कथित गो रक्षकों द्वारा की जाने वाली हिंसा से निपटने के लिए ‘निरोधक, उपचारात्मक और दंडात्मक प्रावधानों’ के संबंध में दिशानिर्देश दिये. पीठ ने कहा कि विधि सम्मत शासन बना रहे यह सुनिश्चित करते हुए समाज में कानून-व्यवस्था कायम रखना राज्यों का काम है. उसने कहा, ‘नागरिक कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं, वे अपने-आप में कानून नहीं बन सकते.’
पीठ ने कहा, ‘भीड़तंत्र की भयावह गतिविधियों को नया चलन नहीं बनने दिया जा सकता, इनसे सख्ती से निपटने की जरूरत है.’ उन्होंने यह भी कहा कि राज्य ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. न्यायालय ने संसद से कहा कि वह भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा से निपटने और ऐसी घटनाओ के दोषियों को सजा देने के लिहाज से नये प्रावधान बनाने पर विचार करे.
शीर्ष अदालत ने देश में ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण करने के लिहाज से दिशा-निर्देश तय करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त बातें कहीं. न्यायालय ने तुषार गांधी और तहसीन पूनावाला की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 28 अगस्त तय की है.
पीठ ने केन्द्र और राज्य सरकारों से कहा कि वे न्यायालय के निर्देशानुसार ऐसे अपराधों से निपटने के लिए कदम उठाएं. चाखच भरे अदालत कक्ष में आदेश पढ़ रहे प्रधान न्यायाधीश ने इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशों को पढ़कर नहीं सुनाया.
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