ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर सख्त सुप्रीम कोर्ट |
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- ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर सख्त सुप्रीम कोर्ट
- ताज महल की सुरक्षा और संरक्षण संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश
- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी किया
सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर से ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर सख्त नजर आ रहा है। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक महीने के भीतर ताज महल की सुरक्षा और संरक्षण संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी किया है कि चार हफ्तों में ताज महल के संरक्षण के लिए विजन दस्तावेज कोर्ट में दाखिल करें। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को ताज महल के आस पास के इलाके में होने वाली गतिविधियों के अचानक बढ़ जाने का कारण और ताज ट्रैपिजियम ज़ोन में नए चमड़ा उद्योग और होटल खुलने की वजह भी पूछी है।
आपको बता दें, ताज ट्रैपिजियम ज़ोन में उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिला और राजस्थान के भरतपुर जिले का कुल 10,400 किलोमीटर का क्षेत्र आता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने सरकार की तरफ से सॉलिलिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, कि अचानक ताज ट्रैपिजियम ज़ोन में चमड़ा उद्योग और होटल की गतिविधियां बढ़ने का कोई खास कारण है क्या? कोर्ट कई दफा उत्तर प्रदेश सरकार को कह चुका है कि आपके पास ताजमहल को संरक्षित रखने का कोई लॉन्ग टर्म प्लान नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट पर्यावरणविद् एम सी मेहता की दायर की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। एम सी मेहता का कहना है कि ताज ट्रैपिजियम ज़ोन पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है, और सरकार को ताज के संरक्षण के लिए एक व्यापक नीति पेश करनी चाहिए।
इसी बीच राज्य सरकार ने आगरा शहर में पानी की आपूर्ती के लिए पाइपलाइन बिछाने के लिए 234 पेड़ों को काटने का आवेदन किया है। हालांकि कोर्ट ने इस पर चार हफ्ते बाद सुनवाई को कहा है।
ताज के पास पार्किंग बनाने की बात फटकार
पिछले साल नवंबर महीने में भी सुप्रीम कोर्ट ताज महल के पास निर्माण कार्य को लेकर योगी सरकार को फटकार लगा चुका है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ताज संरक्षित क्षेत्र में मल्टी लेवल पार्किंग बनाने के लिए 11 पेड़ काटने की इजाजत मांगी थी। जिसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा `ताजमहल एक ही है. एक बार ये नष्ट हो गया, तो फिर दोबारा नहीं बनेगा।` कोर्ट ने कहा कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में गाड़ियों के चलने पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
ताज महोत्सव के भगवाकरण का भी आरोप
हाल ही में योगी सरकार और ताज से उनके संबंध चर्चा में आए जब योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान होने वाले पहले ताज महोत्सव की थीम को बदला गया। इस बार 18 फरवरी को शुरू होने वाले ताज महोत्सव में मुगल हरिटेज के दर्शन नहीं होंगे, बल्कि राम लीला का मंचन होगा। जिस पर विपक्ष का कहना है कि बीजेपी सालों से चली आ रही परंपरा का भगवाकरण कर रही है।
गौरतलब है की शीर्ष अदालत ने कहा था कि सैकड़ों साल पहले ताजमहल को संरक्षित रखने के लिए जो उपाय किए गए थे वो आज के लिए पर्याप्त नहीं हैं इसलिए भविष्य की पीढ़ी के लिए 17वीं शताब्दी की ऐतिहासित इमारत को सहेज कर रखने के लिए राज्य सरकार को ये निर्देश दिया गया। बता दें कि 1631 में मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी बेगम मुमताज महल की याद में ताजमहल बनवाया था। यह मस्जिद यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है।
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