जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह व कमिश्नर दीपाली रस्तोगी को बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाणपत्र की जांच नहीं करने पर नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुजय पॉल की एकलपीठ ने दोनों ही अधिकारियों पर आदेश का पालन नहीं होने पर एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना राशि अफसरों को स्वयं भरने के निर्देश दिए हैं। जाति प्रमाणपत्र की जांच के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है।
जाति प्रमाण पत्र फर्जी है
हाईकोर्ट में यह अवमानना याचिका बैतूल के वकील शंकर पेंड्राम ने दायर की है। अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि सांसद ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है। आदिम जाति कल्याण विभाग की उच्च स्तरीय जांच समिति ने उनकी अर्जी खारिज कर दी। जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए जनवरी 2016 में विभाग को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विधि सम्मत तरीके से विचार कर उचित निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण नही किया गया। इस पर यह अवमानना याचिका दायर की गई।
हाईकोर्ट में यह अवमानना याचिका बैतूल के वकील शंकर पेंड्राम ने दायर की है। अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि सांसद ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है। आदिम जाति कल्याण विभाग की उच्च स्तरीय जांच समिति ने उनकी अर्जी खारिज कर दी। जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए जनवरी 2016 में विभाग को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विधि सम्मत तरीके से विचार कर उचित निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण नही किया गया। इस पर यह अवमानना याचिका दायर की गई।
पहले प्रमाणपत्र निरस्त किया फिर स्टे दिया
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मुकेश अग्रवाल ने कहा कि अवमानना याचिका दायर होते ही प्रदेश स्तरीय छानबीन समिति ने ज्योति धुर्वे का एसटी का जाति प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया। इसके कुछ दिन बाद मामले पर पुनर्विचार करते हुए स्टे दे दिया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट ने तीन बार प्रदेश स्तरीय छानबीन समिति को जाति प्रमाण पत्र पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। आदेश का पालन नहीं हुआ। 27 जुलाई 2018 को कोर्ट ने पीएस व कमिश्नर को चेतावनी दी थी कि 23 अगस्त तक कोर्ट के पूर्वादेश का पालन न करने की दशा में दोनों को खुद कोर्ट में आकर इसकी वजह बतानी होगी। इसके बाद भी आदेश की पालन रिपोर्ट पेश नहीं की गई। जिसके बाद जुर्माना लगाया गया। कोर्ट ने जुर्माना राशि हाइकोर्ट विधिक सेवा समिति के पास जमा कराने के निर्देश दिए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मुकेश अग्रवाल ने कहा कि अवमानना याचिका दायर होते ही प्रदेश स्तरीय छानबीन समिति ने ज्योति धुर्वे का एसटी का जाति प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया। इसके कुछ दिन बाद मामले पर पुनर्विचार करते हुए स्टे दे दिया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट ने तीन बार प्रदेश स्तरीय छानबीन समिति को जाति प्रमाण पत्र पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। आदेश का पालन नहीं हुआ। 27 जुलाई 2018 को कोर्ट ने पीएस व कमिश्नर को चेतावनी दी थी कि 23 अगस्त तक कोर्ट के पूर्वादेश का पालन न करने की दशा में दोनों को खुद कोर्ट में आकर इसकी वजह बतानी होगी। इसके बाद भी आदेश की पालन रिपोर्ट पेश नहीं की गई। जिसके बाद जुर्माना लगाया गया। कोर्ट ने जुर्माना राशि हाइकोर्ट विधिक सेवा समिति के पास जमा कराने के निर्देश दिए।
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