राजद्रोह के मामले पर अदालत ने कहा- 14 सितंबर तक पेश हों हार्दिक पटेल |
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अहमदाबाद: पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल से एक अदालत ने आज कहा कि वह राजद्रोह के मामले में 14 सितंबर को पेश हों. सत्र अदालत पटेल और उनके दो पूर्व सहयोगियों के खिलाफ मामले में 14 सितंबर से आरोप तय करना शुरू करेगी. बता दें आरोप तय करना एक प्रक्रिया है जिसके बाद मुकदमा शुरू हो जाता है.
हार्दिक की अनुपस्थिति में आरोप तय करने मांग
हार्दिक पटेल के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि उनके मुवक्किल आज उपस्थित नहीं हो पाए क्योंकि वह आरक्षण की मांग को लेकर अहमदाबाद के नजदीक अपने घर भूख हड़ताल पर हैं. चूंकि सह आरोपी चिराग पटेल और दिनेश बम्भानिया उपस्थित थे, इसलिए लोक अभियोजक सुधीर ब्रह्मभट्ट ने अदालत से हार्दिक की अनुपस्थिति में आरोप तय करने की शुरुआत करने का आग्रह किया.
हिंसा भड़काने पर हुआ था मामला दर्ज
हालांकि क्योंकि दोनों आरोपियों के वकील मौजूद नहीं थे, इसलिए सत्र न्यायाधीश डी पी महिदा ने सुनवाई 14 सितंबर तक के लिए टाल दी. अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने वर्ष 2015 में आरक्षण आंदोलन के दौरान ‘‘सरकार को हटाने के इरादे से’’ हिंसा भड़काने के आरोप में हार्दिक और अन्य के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था. हार्दिक पटेल के नेतृत्व में अगस्त 2015 में हुए आंदोलन के दौरान गुजरात में कम से कम 13 लोग मारे गए थे. उच्च न्यायालय ने जून 2016 में हार्दिक को मामले में जमानत दे दी थी.
बता दें कि पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठे हैं. इस दौरान पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को तृणमूल कांग्रेस और आरजेडी जैसी पार्टियों का समर्थन मिला. पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के प्रमुख पटेल पाटीदार समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के अलावा, राज्य के किसानों के लिए कर्ज माफी की भी मांग कर रहे हैं.
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