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- आम आदमी पार्टी ने की सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा
- झूठे मामले वापस लेने और तुरंत सभी को रिहा करने की मांग की
भोपाल, 29 अगस्त 2018 । आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक अग्रवाल ने मशहूर वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक गौतम नवलखा समेत सात सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि इनका दोष है कि इन्होंने गरीबों की आवाज उठाई है और इनका यह भी दोष है कि ये मोदी से डरते नहीं हैं। इसीलिए मोदी जी ने इनके घर पर छापा मारा और गिरफ्तारी का फरमान भेज दिया। उन्होंने सोशल साइट ट्विटर पर लिखा है कि मोदी जी लोकतंत्र की हत्या में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसके खिलाफ सभी को सड़क पर आना होगा और आवाज उठानी होगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि हम इस दमनकारी कदम के खिलाफ पूरी ताकत से हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ेंगे और मोदी सरकार को उसके कुत्सित प्रयासों में सफल नहीं होने देंगे।
उन्होंने ट्विटर पर एक शेर के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा है कि-
आज अगर खामोश रहे तो कल सन्नाटा छाएगा।
हर बस्ती में आग लगेगी, हर बस्ती जल जाएगा।
सन्नाटों के पीछे से तब एक सदा ये आएगी
कोई नहीं है, कोई नहीं है, कोई नहीं है, कोई नहीं।
गौरतलब है कि 28 अगस्त को पुलिस ने फरीदाबाद में सुधा भारद्वाज, दिल्ली में गौतम नवलखा, हैदराबाद में वरवर राव, मुंबई में वर्नन गोंसाल्विस और अरुण फरेरा, रांची में स्टेन स्वामी और गोवा में आनंद तेलतुम्बड़े के घर पर छापा मारकर उनके अनेक कागजात, दस्तावेज, लैपटॉप आदि जब्त किए और इन्हें यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया है।
ये सभी लोग पत्र-पत्रिकाओं से लेकर सरकारी महकमों और अदालतों तक गरीब और देश की आम जनता की लड़ाई लड़ते रहे हैं। सरकार पहली जनवरी को हुई भीमा-कोरेगांव की भयावह दलित-विरोधी हिंसा के दोषियों को पकडऩे में नाकाम रही है और कई मामलों में असली दोषियों का बचाव कर रही है। जबकि सामाजिक कार्यकर्ताओं को इन मामलों में गिरफ्तार किया जा रहा है। यह सीधे तौर पर लोकतंत्र का दमन है। आम आदमी पार्टी पुरजोर तरीके से हर मंच पर लोकतंत्र की इस हत्या का विरोध करेगी।
उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता और प्रख्यात वकील सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा और सभी के घरों पर छापेमारी और गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपने विरोध में उठने वाली हर आवाज को और हर तरह की आलोचना को किसी भी तरह दबा देना चाहती है। देश भर में दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं आदि पर हमला करने वाले लोग खुलेआम घूम रहे हैं। ऐसे लोगों के साथ केंद्र के मंत्री तक कार्यक्रमों में शरीक होते हैं, और फोटो खिंचवाते हैं। वहीं दूसरी ओर, मजलूमों की आवाज उठाने वालों को निशाने पर लिया जा रहा है। आम आदमी पार्टी मानती है कि यह लोकतंत्र पर खुला हमला है और सरकार को चाहिए कि सभी सातों सामाजिक कार्यकर्ताओं पर लगे झूठे आरोपों को वापस लेकर तुरंत रिहा किया जाए।
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