वाराणसी. ताजा ख़बरों की माने तो भाजपा के बीजेपी ने कुछ दिन भाजपा 150 सांसदों का टिकट काट सकती है। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को बड़ा झटका मिल सकता है। भाजपा के दो दिग्गज सांसदों का सपा में जाने का संकेत हो रहा है। इस लिस्ट में कई वरिष्ठ नेताओं के नाम भी शामिल हैं।
जिसमें एक नाम भाजपा के दिग्गज नेता श्यामा चरण गुप्ता का भी नाम चर्चा में है। टिकट कटने की चर्चाओं के बीच एक बार फिर उनके सपा में जाने की सुर्खियां तेज हो गई है। बताया जा रहा है, की श्यामा चरण एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते है । वहीं भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल की पूर्व सीएम अखिलेश यादव के साथ तस्वीर वायरल होने के बाद लगभग यह तय हो गया है कि जगदम्बिका पाल भी सपा में शामिल हो सकते हैं।
जगदम्बिका पाल का सपा में शामिल होने का लोग लगा रहे कयास
सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक तस्वीर में जगदम्बिका पाल और पूर्व पीएम अखिलेश यादव एक साथ एक कमरे में गुफत्गू करते नजर आए। वैसे किसी पार्टी के सांसद का दूसरे पार्टी के किसी नेता से मिलने की मनाही नहीं है, सभी एक दूसरे से मिलते ही रहते हैं, लेकिन पाल और अखिलेश का मिलन ऐसे समय हुआ जब लोकसभा चुनाव नजदीक है और पाल के टिकट पर ग्रहण की चर्चा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक तस्वीर में जगदम्बिका पाल और पूर्व पीएम अखिलेश यादव एक साथ एक कमरे में गुफत्गू करते नजर आए। वैसे किसी पार्टी के सांसद का दूसरे पार्टी के किसी नेता से मिलने की मनाही नहीं है, सभी एक दूसरे से मिलते ही रहते हैं, लेकिन पाल और अखिलेश का मिलन ऐसे समय हुआ जब लोकसभा चुनाव नजदीक है और पाल के टिकट पर ग्रहण की चर्चा है।
कांग्रेसी पृष्ठिभूमि के है पाल, राजनीतिक सफर
पाल कांग्रेसी पृष्ठिभूमि के हैं। डुमरियागंज सीट से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे। अचानक परिस्थितयिां बदली और उन्हें 2014 का चुनाव भाजपा से लड़ना पड़ा। 1977 की जनता पार्टी सरकार के सत्ता से हटने के बाद जब 1980 लोकसभा का चुनाव हुआ तो बस्ती लोकसभा सीट से पाल कांग्रेस के मजबूत दावेदार थे। इन्हें टिकट नहीं मिला। इसके बाद 1981 में यूपी विधानसभा चुनाव में भी इनका टिकट कट गया। लेकिन इनकी निष्ठा नहीं डिगी। अंततः पार्टी को इन्हें विधानपिरषद में लेना पड़ा और मंत्री भी बनाया। फिर बस्ती विधानसभा सीट से लगातार कई बार विधायक और मंत्री रहे। इस बीच जब तिवारी कांग्रेस का गठन हुआ था तब भी पाल ने पाला बदला था। वह तिवारी कांग्रेस के टिकट पर खलीलाबाद से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। कुछ दिन भटकने के बाद वे फिर कांग्रेस में लौट आए और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तक बने।
पाल कांग्रेसी पृष्ठिभूमि के हैं। डुमरियागंज सीट से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे। अचानक परिस्थितयिां बदली और उन्हें 2014 का चुनाव भाजपा से लड़ना पड़ा। 1977 की जनता पार्टी सरकार के सत्ता से हटने के बाद जब 1980 लोकसभा का चुनाव हुआ तो बस्ती लोकसभा सीट से पाल कांग्रेस के मजबूत दावेदार थे। इन्हें टिकट नहीं मिला। इसके बाद 1981 में यूपी विधानसभा चुनाव में भी इनका टिकट कट गया। लेकिन इनकी निष्ठा नहीं डिगी। अंततः पार्टी को इन्हें विधानपिरषद में लेना पड़ा और मंत्री भी बनाया। फिर बस्ती विधानसभा सीट से लगातार कई बार विधायक और मंत्री रहे। इस बीच जब तिवारी कांग्रेस का गठन हुआ था तब भी पाल ने पाला बदला था। वह तिवारी कांग्रेस के टिकट पर खलीलाबाद से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। कुछ दिन भटकने के बाद वे फिर कांग्रेस में लौट आए और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तक बने।
2004 में उन्हें डुमरियागंज संसदीय सीट से टिकट तब मिला जब इस सीट से कांग्रेस लगभग समाप्त हो चुकी थी और इसके उम्मीदवार 40 हजार वोट में सिमट गए थे। 2004 में पाल चुनाव हार जरूर गए थे लेकिन कांग्रेस का ग्राफ पौने दो लाख तक पंहुच गया था और वह 2009 में वे चुनाव जीतने में सफल हुए। अब जैसी की चर्चा है तो ऐसा लगता है कि पाल को फिर विपरीत परिस्थिति में राजनीति में अपनी नई राह बनानी पड़ सकती है।
जगदम्बिका पाल का राजनीतिक सफर
श्यामा चरण गुप्ता 1989 में भाजपा के टिकट से इलाहाबाद से मेयर चुने गये । श्यामाचरण गुप्ता 1991 में इलाहाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़े थे। इसके बाद वह इलाहाबाद के मेयर बने। कुछ सालों बाद वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और 2004 में बांदा से सांसद रहने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने उन्हें इलाहाबाद सीट से टिकट दे दिया और मोदी लहर में वह सांसद हो गए। अब एक बार फिर उनके दल बदलने की चर्चा जोरो पर है ।
श्यामा चरण गुप्ता 1989 में भाजपा के टिकट से इलाहाबाद से मेयर चुने गये । श्यामाचरण गुप्ता 1991 में इलाहाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़े थे। इसके बाद वह इलाहाबाद के मेयर बने। कुछ सालों बाद वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और 2004 में बांदा से सांसद रहने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने उन्हें इलाहाबाद सीट से टिकट दे दिया और मोदी लहर में वह सांसद हो गए। अब एक बार फिर उनके दल बदलने की चर्चा जोरो पर है ।
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