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केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्रीय गृहमंत्रालय के सीपीआईओ के सुनवाई के लिए नहीं आने पर एक फर्जी एनकाउंटर के मामले में ‘एकपक्षीय निर्णय’ घोषित कर देने की सख्त चेतावनी दी है। ये मामला असम में हुए एक कथित तौर पर फर्जी एनकाउंटर से जुड़ा हुआ है, जिसमें सीआरपीएफ के आईजी रजनीश राय की रिपोर्ट के तथ्यों को सार्वजनिक करने की मांग पर सीआईसी सुनवाई कर रहा है।
सूचना आयुक्त यशोवर्द्धन आजाद ने गृह मंत्रालय से जिन तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, उनमें एनकाउंटर की रिपोर्ट पर लिया गया एक्शन, रिपोर्ट की कॉपी और यदि गुजरात कैडर के वर्ष 1992 बैच के आईपीएस रजनीश राय के खिलाफ उनकी रिपोर्ट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में कोई जांच चल रही है तो उसकी जानकारी देने की बात शामिल है।
इन तीनों बिंदुओं को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत मानते हुए खारिज कर दिया था। इस पर इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक रहे सूचना आयुक्त आजाद ने गृह मंत्रालय के सीपीआईओ को उपस्थित होकर इन तीन बिंदुओं से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे की बात स्पष्ट करने के लिए कहा था, लेकिन सीपीआईओ पिछले दो सुनवाई में 21 मार्च व 28 मई को उपस्थित नहीं हुए थे।
क्या है फर्जी एनकाउंटर का मामला
रजनीश राय ने पिछले साल सीआरपीएफ के शीर्ष अधिकारियों के सामने एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें विस्तार से बताया था कि कैसे सेना, सीआरपीएफ और असम पुलिस की संयुक्त टीम ने 29-30 मार्च, 2017 को चिरांग जिले के सिमलागुड़ी क्षेत्र में एक फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, इस फर्जी एनकाउंटर में प्रतिबंधित समूह एनडीएफबी (एस) के दो विद्रोही मार दिए गए थे।
कैसे पहुंचा सूचना आयोग तक मामला
सीआरपीएफ ने एक पत्रकार को आरटीआई के तहत जानकारी मांगने के बावजूद पारदर्शिता कानून के दायरे से बाहर होने की बात कहकर राय की रिपोर्ट और उससे जुड़े तथ्य देने से इनकार कर दिया था।
सूचना आयुक्त यशोवर्द्धन आजाद ने गृह मंत्रालय से जिन तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, उनमें एनकाउंटर की रिपोर्ट पर लिया गया एक्शन, रिपोर्ट की कॉपी और यदि गुजरात कैडर के वर्ष 1992 बैच के आईपीएस रजनीश राय के खिलाफ उनकी रिपोर्ट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में कोई जांच चल रही है तो उसकी जानकारी देने की बात शामिल है।
इन तीनों बिंदुओं को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत मानते हुए खारिज कर दिया था। इस पर इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक रहे सूचना आयुक्त आजाद ने गृह मंत्रालय के सीपीआईओ को उपस्थित होकर इन तीन बिंदुओं से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे की बात स्पष्ट करने के लिए कहा था, लेकिन सीपीआईओ पिछले दो सुनवाई में 21 मार्च व 28 मई को उपस्थित नहीं हुए थे।
क्या है फर्जी एनकाउंटर का मामला
रजनीश राय ने पिछले साल सीआरपीएफ के शीर्ष अधिकारियों के सामने एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें विस्तार से बताया था कि कैसे सेना, सीआरपीएफ और असम पुलिस की संयुक्त टीम ने 29-30 मार्च, 2017 को चिरांग जिले के सिमलागुड़ी क्षेत्र में एक फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, इस फर्जी एनकाउंटर में प्रतिबंधित समूह एनडीएफबी (एस) के दो विद्रोही मार दिए गए थे।
कैसे पहुंचा सूचना आयोग तक मामला
सीआरपीएफ ने एक पत्रकार को आरटीआई के तहत जानकारी मांगने के बावजूद पारदर्शिता कानून के दायरे से बाहर होने की बात कहकर राय की रिपोर्ट और उससे जुड़े तथ्य देने से इनकार कर दिया था।
सूचना आयुक्त ने दो बिंदुओं- राय ने कब रिपोर्ट दी और कब ये रिपोर्ट रिसीव की गई, इसकी जानकारी पत्रकार को उपलब्ध कराने के आदेश फोर्स को दिए थे। सूचना आयुक्त ने फर्जी एनकाउंटर को मानव अधिकार हनन के तहत मानते हुए इसे सीआरपीएफ को मिली छूट के दायरे से बाहर होने के कारण अपीलकर्ता को प्रथम दृष्टया जानकारी पाने के योग्य माना था।
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