यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ पर केंद्र सरकार ने लगाया प्रतिबंध |
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केंद्र ने यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को शुक्रवार को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंधित कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि संगठन पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को कथित तौर पर बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इसके प्रमुख यासीन मलिक गिरफ्तार हैं और फिलहाल वह जम्मू की कोट बलवल जेल में बंद हैं।
यह जम्मू-कश्मीर में दूसरा संगठन है जिसे इस महीने प्रतिबंधित किया गया है। इससे पहले, केंद्र ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध लगा दिया था।
यह जम्मू-कश्मीर में दूसरा संगठन है जिसे इस महीने प्रतिबंधित किया गया है। इससे पहले, केंद्र ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अलगाववादी नेताओं पर कसता शिकंजा
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। ईडी ने सैयद अली शाह गिलानी पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत 14.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इसके साथ ही अवैध तरीके से रखी गई 10 हजार डॉलर (करीब सात लाख रुपये) की विदेशी मुद्रा भी जब्त की है। यह रकम साल 2002 में गिलानी के श्रीनगर स्थित आवास पर आयकर विभाग के छापे के दौरान पकड़ी गई थी। वहीं जेकेएलएफ के नेता यासीन मलिक के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही चल रही है।
जांच एजेंसी ने 87 वर्षीय अलगाववादी नेता को फेमा के अलग-अलग प्रावधानों के तहत नोटिस भेजा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और अन्य एजेंसियां घाटी में आतंकी फंडिंग की जांच कर रही हैं।
सरकार ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद से अलगाववादी नेताओं के खिलाफ अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। इन सभी की सुरक्षा वापस ले ली गई है। हालांकि सुरक्षा हटाए जाने के बाद अलगाववादी नेताओं ने कहा था कि उन्होंने कभी सुरक्षा की मांग नहीं की थी।
हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तान समर्थक कहा जाता है। इन पर आरोप है कि ये घाटी में अलगाववाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने के लिए युवाओं को पैसे देते हैं।
गौरतलब है कि सुरक्षा एजेंसियों ने घाटी में कार्रवाई करते हुए कुछ समय पहले मीर वाइज उमर फारूक के घर से हॉटलाइन बरामद की थी। बताया जा रहा है कि मीर वाइज इस हॉटलाइन का इस्तेमाल पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से बातचीत करने के लिए करता था।
इसके साथ ही अवैध तरीके से रखी गई 10 हजार डॉलर (करीब सात लाख रुपये) की विदेशी मुद्रा भी जब्त की है। यह रकम साल 2002 में गिलानी के श्रीनगर स्थित आवास पर आयकर विभाग के छापे के दौरान पकड़ी गई थी। वहीं जेकेएलएफ के नेता यासीन मलिक के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही चल रही है।
जांच एजेंसी ने 87 वर्षीय अलगाववादी नेता को फेमा के अलग-अलग प्रावधानों के तहत नोटिस भेजा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और अन्य एजेंसियां घाटी में आतंकी फंडिंग की जांच कर रही हैं।
सरकार ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद से अलगाववादी नेताओं के खिलाफ अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। इन सभी की सुरक्षा वापस ले ली गई है। हालांकि सुरक्षा हटाए जाने के बाद अलगाववादी नेताओं ने कहा था कि उन्होंने कभी सुरक्षा की मांग नहीं की थी।
हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तान समर्थक कहा जाता है। इन पर आरोप है कि ये घाटी में अलगाववाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने के लिए युवाओं को पैसे देते हैं।
गौरतलब है कि सुरक्षा एजेंसियों ने घाटी में कार्रवाई करते हुए कुछ समय पहले मीर वाइज उमर फारूक के घर से हॉटलाइन बरामद की थी। बताया जा रहा है कि मीर वाइज इस हॉटलाइन का इस्तेमाल पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से बातचीत करने के लिए करता था।
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