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भोपाल| मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के कद्दावर नेता गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने टिकट के लिए खुद की दावेदारी वापस ले ली है| टिकट के लिए चल रही नेता पुत्रों की दौड़ से अभिषेक खुद ही पीछे हट गए हैं| भार्गव ने चुनाव न लड़ने की घोषणा करते हुए फेसबुक पर पोस्ट किया है|
जिसमे उन्होंने लिखा है वंशवाद के खिलाफ आडवाणी जी के बयान से मैं हूं व्यथित ,इसलिए मैं अब प्रत्याशी की दौड़ में नहीं हूँ| अभिषेक का नाम खजुराहो ,दमोह और सागर सीट से चल रहा था| पिछले दिनों भोपाल में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने उनके लिए टिकट की मांग भी की थी| तब परिवारवाद के विषय पर भार्गव ने कहा था अगर लायक है तो टिकट मिलना चाहिए उनका साफ कहना था कि नेता का बेटा भीख तो मांगेगा नहीं| इस बीच टिकट के लिए अंतिम फैसला होने से पहले ही अभिषेक इस दौड़ से बाहर हो गए हैं|
दरअसल, भाजपा में लंबे समय से बेटा-बेटी को टिकट दिलाने की मांग चल रही है| विधानसभा चुनाव में भी कई नेताओं ने अपने बच्चों के लिए टिकट मांगे| इसके बाद अब लोकसभा चुनाव में भी कई बड़े नेताओं ने टिकट की मांग रखी थी और भोपाल पहुँच कर दावेदारी भी की| जिसके बाद से ही परिवारवाद का मुद्दा गरमा गया था| भाजपा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव लंबे समय से अपने पुत्र अभिषेक भार्गव के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भी अभिषेक ने सागर लोकसभा से टिकट की मांग की थी, लेकिन तब भार्गव सरकार में मंत्री थे, लिहाजा अभिषेक को टिकट नहीं मिला। अब भार्गव मप्र विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं, ऐसे में उनके बेटे को टिकट मिलना भी मुश्किल था| हालाँकि इस दौरान अभिषेक ने कहा था कि अगर परिवारवाद का कलंक लगेगा तो वे अपना नाम वापस ले लेलेंगे| जिसके बाद अब उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खुद की दावेदारी वापस लेते हुए किसी अन्य को चुनाव लड़ाने की अपील की है|
यह लिखा पोस्ट
"आदरणीय मोदी जी और आडवाणी जी के वंशवाद के विरूद्ध दिए गए बयान के बाद स्वयं में अपराधबोध महसूस कर रहा हूँ।इतने बड़े संकल्प को लेकर पार्टी राष्ट्रहित में एक युद्ध लड़ रही है और सिर्फ अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए उस संकल्प की सिद्धि के रास्ते मे रुकावट बनू यह भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते मेरा स्वाभिमान मुझे इजाजत नहीं देता ।
बुंदेलखंड की तीनों सीटो दमोह,सागर,खजुराहो से विचारार्थ मेरा नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेज गया है।मुझे इस लायक समझने के लिए सभी पार्टी के वरिष्ठजनो का में हृदय से कोटि कोटि आभार व्यक्त करता हूँ परंतु आज पुनः जैसा कि मैंने कुछ दिन पूर्व ही सार्वजनिक तौर पर कहा था कि परिवारवाद का कलंक लेकर में राजनीति नहीं करना चाहता हूं। अतः वंशवाद और परिवारवाद के खिलाफ राष्ट्रहित और पार्टीहित में लोकसभा की दावेदारी से में स्वयं को पृथक करते हुए अपनी दावेदारी वपिस लेता हूँ।मेरे स्थान पर पार्टी के किसी अन्य समर्पित कर्मठ कार्यकर्ता के नाम पर पार्टी विचार करे यही निवेदन है ।
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