हार्दिक पटेल को झटका, हाईकोर्ट ने सजा पर रोक से किया इनकार, चुनाव लड़ना मुश्किल |
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लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को करार झटका लगा है। मेहसाणा के विधायक के दफ्तर पर तोड़फोड़ मामले में हार्दिक पटेल की सजा पर रोक से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। इसके चलते माना जा रहा है कि अब वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। हार्दिक पटेल जामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे।
गुजरात में चार अप्रैल नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख है ऐसे में पाटीदार नेता के लिए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए कुछ ही दिन बचे हैं। पटेल ने 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल होने के बाद से पार्टी के टिकट पर जामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। जामनगर रैली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मौजूदगी में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा था।
जन प्रतिनिधित्व कानून और सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के तहत दो साल या अधिक वर्षों की जेल की सजा काट रहा व्यक्ति दोषसिद्धि पर रोक लगने तक चुनाव नहीं लड़ सकता। न्यायमूर्ति ए जी उरैजी के समक्ष पटेल की याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि पटेल के खिलाफ 17 प्राथमिकी दर्ज हैं, इसमें देशद्रोह के दो मामले हैं। भाजपा सरकार ने अदालत में कहा कि उन्हें भड़काऊ भाषण देने के लिए जाना जाता है।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद हार्दिक के वकील ने कहा कि सबसे पहले वे आदेश को पढ़ेंगे और फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला करेंगे। पिछले साल जुलाई में मेहसाणा जिले के विसनगर में सत्र अदालत ने पटेल को दो साल जेल की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हार्दिक पटेल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सजा से राहत दी जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
हालांकि हार्दिक के पास अभी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प है। पिछले साल जुलाई में गुजरात की एक अदालत ने मेहसाणा के भाजपा विधायक के दफ्तर पर हमला करने के आरोप में हार्दिक पटेल और उनके दो अन्य साथियों को दोषी ठहराते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन्हें 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।
जन प्रतिनिधित्व कानून और सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के तहत दो साल या अधिक वर्षों की जेल की सजा काट रहा व्यक्ति दोषसिद्धि पर रोक लगने तक चुनाव नहीं लड़ सकता। न्यायमूर्ति ए जी उरैजी के समक्ष पटेल की याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि पटेल के खिलाफ 17 प्राथमिकी दर्ज हैं, इसमें देशद्रोह के दो मामले हैं। भाजपा सरकार ने अदालत में कहा कि उन्हें भड़काऊ भाषण देने के लिए जाना जाता है।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद हार्दिक के वकील ने कहा कि सबसे पहले वे आदेश को पढ़ेंगे और फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला करेंगे। पिछले साल जुलाई में मेहसाणा जिले के विसनगर में सत्र अदालत ने पटेल को दो साल जेल की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हार्दिक पटेल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सजा से राहत दी जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
हालांकि हार्दिक के पास अभी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प है। पिछले साल जुलाई में गुजरात की एक अदालत ने मेहसाणा के भाजपा विधायक के दफ्तर पर हमला करने के आरोप में हार्दिक पटेल और उनके दो अन्य साथियों को दोषी ठहराते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन्हें 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।
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