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बैतूल जिला बना दुर्लभ प्रजाति के सांपो की अंतरराष्ट्रीय तस्करी का केन्द्र
बैतूल, सतपुड़ा के घने जंगल कभी शेर चीतो और टाइगरो की दहाड़ के लिए जाने - जाते थे। यहां पर शेर का शिकार करने के लिए देश - विदेश से शिकारियों की आना - जाना बना रहता था। अंग्रेजो के जमाने में वर्तमान उतर वन मण्डल शेर के शिकारियों के लिए शिकार पाइंट थी।
चिचाली मालीपुरा के मालगुजार विदेशी एवं देशी शिकारियों के संग शिकार के लिए पोफल्या, बीजादेही, टांगना, कनारी , पाट, धाराखोह में शेरो का शिकार करने के लिए अपने मेहमानो को ले जाया करते थे। आजादी के बाद सख्ती से लागू वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत बैतूल सहित पूरे देश में शेर की घटती संख्या से चिंतित केन्द्र की सरकार ने पूरी तरह शेर सहित अन्य वन्य प्राणियों के शिकार प्रतिबंधित लगा दिया। इन दिनो यह पूरा क्षेत्र सुर्खियों में छाया हुआ है।
जैसे ही भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता और चुनावी कार्यक्रमो की घोषणा की बैतूल जिले से चुनावी मौसम दो मुँह के सांप के मिलने से जिले की राजनीति में भूचाल आ गया। अकसर चुनावी मौसम में पक्ष एवं विपक्ष एक दुसरे पर हमला करने में एक दुसरे को दो मुँह का सांप बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते है। नेताओं और जनप्रतिनिधियों की वादा खिलाफी के बाद भी जागरूक मतदाता और राजनीति से जुड़े लोग अपने जनप्रतिनिधियों को भी दोगला, दो मुँह का सांप कह कर सम्बोधित करते है। जहां एक ओर बैतूल जिले में वादो से मुकर जाने के बाद ऐसे दो मुँह के सांपो से लोगो को बचने की नसीहत दी जाती है।
वही दुसरी ओर इन दिनो बैतूल जिले में लगातार दुर्लभ प्रजाित के दो मुँह के सांप (सेण्ड बोआ) को बचाने की मुहीम में पूरा वन विभाग का अमला लगा हुआ है लेकिन दो मँुह के सांपो का बैतूल जिले के जंगलो में बड़ी संख्या में मिलना और इन दुर्लभ प्रजाति के संापो की अंतराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी ने वन विभाग की चिंता बढ़ाने का काम किया है। बैतूल जिले में बीते एक दशक में दो दर्जन से अधिक दो मुँह के सांपो की तस्करी से जुड़े मामले सार्वजनिक हुए है।
बैतूल जिले की बाहर भी इस दुर्लभ प्रजाति के सांपो की प्रजाति की तस्करी के मामले में उनके बैतूल जिले से तार जुड़े पाए गए। बैतूल जिले में दक्षिण, पश्चिम तथा उतर वन मण्डल की दो दर्जन से अधिक सर्किलो में दुर्लभ प्रजाति के सेण्ड बोआ नामक सांपो की तस्करी से जुड़े कई मामले उजागर हुए तथा इससे अधिक मामले आपसी सेंटिंग के चलते दबा दिये गए। वन विभाग बैतूल से अभी तक आधा दर्जन ऐसे संापो को सर्प की तस्करी करने वालो के पास से जीवित बरामद कर उन्हे वन्य प्राणी संग्रहालय / संरक्षण केन्द्र पहुंचा चुका है। बैतूल जिले में यूं तो नाग देवताओं के सबसे अधिक नाग मंदिर है। यहां पर नाग और उनको गले में माला डाले बड़े देव की आदिवासी जनजाति पूजा करते चली आ रही है।
हाल ही में वन विभाग की टीम ने मुखबीर की सूचना पर निवारी गांव के ओम प्रकाश भाट के घर दबिश देकर दुर्लभ प्रजाति के सेंड बोआ सांप को बरामद तो कर लिया लेकिन सांप की तस्करी में शामिल आरोपी अपने घर पर वन विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों की भीड़ को देखते ओम प्रकाश भाट वहां से नौ दो ग्यारह हो गया। वन विभाग के लोग उसको लपक कर पकड़ते वह पिछले दरवाजे से भाग गया। जानकार सूत्रो के अनुसार वन विभाग के अधिकारियों ने मुखबीर की सूचना पर निवारी गांव के ओम प्रकाश भाट के घर पर उक्तछापा मारकर कार्रवाई की।
आरोपी ओमप्रकाश भाट के घर पूजा स्थल पर एक मटके में दुर्लभ प्रजाति सेंड बोआ (दो मुंहे वाले सांप) को बरामद कर लिया। अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ो में आंकी जाती है। आमतौर पर दो मुँह का सांप बिचौलिए के माध्यम से चोरी - छीपे (लोकल मार्केट) ४0 से ६० लाख रुपए में बिकता है। दुर्लभ प्रजाति के सांप पकड़े जाने पर यह स्पष्ट होता है कि जिले में सांपों का व्यापार तेजी से हो रहा है। चिचोली वन परिक्षेत्र अधिकारी एसके सोमवंशी ने बताया कि मुखबीर की सूचना पर ओमप्रकाश से घर का सर्च वारंट जारी कर घर में दबिश देकर दुर्लभ प्रजाति का (सेंड बोआ) दो मुंह वाले सांप को जप्त किया गया है और आरोपी के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
बैतूल जिले की चिचोली को यूं तो बैतूल जिले की मिनी दुबई कहां जाता है। यहां पर गुड से लेकर गोबर तक की तस्करी होना आम बात है। ताजा प्रकरण में बेहद चौकान्ने वाला यह तथ्य सामने आया है कि सेंड बोआ मामले में पकड़ाया आरोपी वनकर्मियों की गिरफ्त में आ जाने के बाद उनको चकमा देकर फरार हो गया है। मुखबिर की सूचना के सेंड बोआ मामले में निवारी गांव से पकड़ाया आरोपी वनकर्मियों की गिरफ्त से फरार हो गया जिसकी शिकायत चिचोली रेंजर ने थाने में दर्ज करवाई है वंही कल चकमा देकर भागे मुख्य आरोपी को पकडऩे में वनकर्मियों को सफलता मिली है ।
वह कर्मी एक ओर अन्य आरोपी की तलाश में लगे हुए है । मुख्य आरोपी के फरार हो जाने के मामले में वन विभाग की कहानी कुछ और ही बयां करती है। वन परिक्षेत्र अधिकारी के अनुसार मुख्य आरोपी के बदले वनकर्मियों ने उसके पुत्र सोनू भाट को पकड़ कर रेंज आफिस के कम्प्यूटर रूम बन्द कर दिया था, जहाँ से वनकर्मियों को आसपास नही पाकर सोनू भाट नौ दो ग्यारह हो गया। सुबह इस घटना की जानकारी लगने के बाद रेंजर एसएन सोनवंशी ने सोनू भाट के कस्टडी से भाग जाने की एफआईआर दर्ज करवाई है । इधर कल भागे मुख्य आरोपी ओमप्रकाश भाट को खबर लिखे जाने तक पकड़ लेने के समाचार मिले है। वनकर्मी ओमप्रकाश के दूसरे पुत्र की तालाश कर रहे है ।
सेंड बोआ के तस्करों से जुड़ रहे तार
वन विभाग द्वारा जब्त किए गए सेंड बोआ के मामले में वनविभाग सभी पहलुओं पर जांच कर रहा है । वनकर्मियों की प्राथमिक जांच में कुछ ऐसे बिंदु हाथ लगे जिसके बाद से विभाग की नींद उड़ गई है। मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की सीमा से लगे बैतूल जिले की चिचोली रेंज का कुछ भाग मेलघाट टाइगर कोरीडोर में आता है। अंतराष्ट्रीय वन्य प्राणियों की खाल - बाल और अन्य अंगो के तस्कर संसारचंद का बैतूल जिले की चिचोली बस्ती के कई लोगो से सबंध रहा है। सूत्र बताते ही कि सेंड बोआ के तार तस्करों से भी जुड़े होने के पुख्ता सबूत हाथ लगे है ।
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