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भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव अभियान में पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सिंगल-यूज-प्लास्टिक और पॉली विनाइल क्लोराइड (पीवीसी) से बनी प्रचार सामग्री का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है । निर्वाचन आयोग ने इस बारे में हाल ही में एक पत्र जारी कर सभी राजनैतिक दलों से कहा है कि अपने चुनाव प्रचार अभियान को पर्यावरण के अनुकूल बनायें ।
उन्हें प्रचार सामग्री में सिंगल -यूज- प्लास्टिक और पीवीसी का उपयोग न करने के लिए पर्याप्त उपाय अपनाने एवं कदम उठाने चाहिए। निर्वाचन आयोग ने राजनैतिक दलों को भेजे इस पत्र में केन्द्र शासन के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निर्वाचनों के दौरान प्रचार सामग्री में सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प का उपयोग करने के प्रयास करने तथा पार्टियों एवं उम्मीदवारों को इसके लिए प्रोत्साहित करने की दी गई राय का उल्लेख भी किया है ।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि प्लास्टिक से बने पोस्टर, बैनर, कट-आउट्स, होर्डिंग्स एवं अन्य प्रकार की प्रचार अभियान सामग्री को निर्वाचन के बाद फेंक दिया जाता है। इस तरह के सिंगल-यूज-प्लास्टिक अथवा पॉली विनाइल क्लोराइड (पीवीसी) के कचरे को एकत्र नहीं किया जाता है और ये अपशिष्ट बन जाती है । इससे भू एवं जल प्रदूषण फैलता है साथ ही खुली हवा में इन्हें जलाने से विषाक्त उत्सर्जन पैदा होता है जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ।
निर्वाचन आयोग ने राजनैतिक दलों एवं उम्मीदवारों को प्लास्टिक से बनी प्रचार सामग्री के इस्तेमाल से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के साथ-साथ प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कम्पोस्टेबल प्लास्टिक, प्राकृतिक फैब्रिक और पुर्ननवीनीकृत कागज की बनी प्रचार सामग्री का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। आयोग ने इस संबंध में पूर्व में जारी एक अपने निर्देश का उल्लेख करते हुए कहा है कि प्लास्टिक या पीवीसी से बनी सामग्री के निपटान के लिए स्थानीय निकायों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर आने वाली लागत चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार अथवा राजनैतिक दल से वसूल की जायेगी।
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