शहर के मुख्य मार्गो पर बेखौफ दौड़ रहे भारी वाहन
नरसिंहपुर से सलामत खान की रिपोर्ट....
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गांव-देहातों को जोडऩे वाले मार्गो के साथ अब तो शहरों की मुख्य सडक़ों पर भी ऐसे दृश्य सहजता से देखे जा सकते है। खुलेआम दुर्घटनाओं को आमंत्रण देने का यह प्रयास एक तो यातायात पुलिस को दिखता नहीं अथवा जान-बूझकर इन्हें छेड़ा नहीं जाता। चौराहों-तिराहों पर सक्रिय पुलिस पार्टियां मोटर सायकलों पर तो नजरें टेढ़ी करती है लेकिन बीच बस्ती से गुजरने वाले मालवाहक वाहन और यात्री वाहनों में हो रही ओव्हर लोडिंग पर समुचित कार्यवाही नहीं की जाती। प्राय: देखने में आया है कि मालवाहक वाहन अपनी निर्धारित क्षमता से ज्यादा माल ढोने में संलग्न है, माल से लदे वाहन और उसके ऊपर बैठे लोग खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आते है।
व्यस्त मार्गो में इनका सतत्ï आवागमन सुचारू यातायात में तो बाधित होता ही है, दुर्घटनाओं को भी आमंत्रण देता है। लगभग यही हाल यात्री वाहनों का भी है, क्षमता से अधिक सवारियाँ बैठाने का मानों शगल बन गया है। दरवाजे खिड़कियों से लटके लोग तथा वाहन के अंदर ठूंस-ठूंसकर भरी सवारियां कोई नई बात नहीं! ओव्हर लोडिंग के मुद्ïदे को सुलझाने में विफल रहे यातायात महकमें द्वारा विशेष चैकिंग अभियान और यातायात सप्ताह के आयोजन किये जाते है लेकिन कार्यवाही के नाम पर ज्यादातर मोटर सायकल सवार इनके शिकार बनते है, यदि ओव्हर लोडिंग के नाम पर कोई कार्यवाही होती भी है तो वायपास से गुजरने वाले लंबी दूरी के ट्रकों पर? स्थिति साफ है, नगर के मुख्य मार्गो से गुजरने वाले मालवाहक और यात्री वाहनों पर कार्यवाही न होना कहीं न कहीं आपसी समझौते की ओर इशारा करता है।
सूत्र तो यह भी बताते है कि यात्री वाहनों के रूट परमिट जारी करने का दायित्व निभा रहा विभाग इस लिहाज से पूरी तरह अपने को दूर किये हुए है। कई बार तो आलम यह हो जाता है कि रूट परमिट की अवधि समाप्त हो जाती है लेकिन वाहन का संचालन लगातार होता रहता है, बाद में इच्छानुसार उसका नवीनीकरण कराया जाता है। ओव्हर लोडिंग के कारण पूर्व में अनेकों घटना-दुर्घटनाएं जिले के विभिन्न अंचलों में घट चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी इस दिशा में प्रयास न होना समझ से परे हैं। इस गैरकानूनी कृत्य को रोकने के लिये इस हेतु एक अलग से अभियान की जरूरत महसूस हो रही है।
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