पंजाब के एक गांव में इन दिनों बड़ी संख्या में लोग एक बच्चे के दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं. 2001 में जन्मे इस बच्चे की 7 इंच की पूंछ है और लोगों के मुताबिक ये बच्चा हनुमानजी का अवतार है.हालांकि मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चे की पूंछ एक शारीरिक विकृति है. जबकि स्थानीय लोग इसे ईश्वरीय गुण मानते हैं. उनका कहना है कि इस बच्चे में पूंछ के अलावा हनुमानजी जैसी और भी कई समानताएं हैं.
12 वर्षीय अरशद अली पंजाब के नबीपुर गांव का रहने वाला है और लोगों के बालाजी के नाम से जाना जाता है.
अरशद के नानाजी इकबाल कुरैशी कहते हैं, 'अरशद में हनुमान जैसे 9 ईश्वरीय चिन्ह हैं. पूंछ के अलावा उसके पैर पर पदम चिन्ह और बाएं हाथ पर सीता और कड़ा के चिन्ह हैं. वह लोगों के लिए बेहद खास है.'
अली का जन्म 15 फरवरी, 2001 को हुआ था. जैसे ही पूंछ वाले बच्चे के जन्म की खबर फैली, दूर-दूर से लोग उसके दर्शन के लिए उमड़ना शुरू हो गए. लोगों ने उसके घर में आकर प्रार्थनाएं करनी शुरू की दी और चढ़ावा चढ़ाया. तब से उसका घर मंदिर जैसा बन गया है, जहां श्रृद्धालु उसकी एक झलक पाने के लिए लंबी-लंबी कतारों में अपना नंबर आने का इंतजार करते हैं.
साधुगढ़ के एक सरकारी स्कूल में 8वीं कक्षा में पढ़ने वाला अली अपने नाना के साथ रहता है. उसके पिता राज मोहम्मद मजदूर थे, जो 4 साल पहले ही चल बसे. मां सलमा ने दूसरी शादी की और अब अपने पति के साथ रहती है.
कुरैशी कहते हैं 'हम लोगों से दान देने के लिए नहीं कहते. जो कुछ भी वह देते हैं, हम ले लेते हैं. दर्शन के लिए आए लोगों को अरशद आशीर्वाद दे देता है.'
हालांकि इस पूंछ की वजह से अली को चलने-फिरने में काफी परेशानी होती है. 5 साल पहले चंडीगढ़ के कई अस्पतालों में दिखाए जाने के बाद भी उसे इस पूंछ से छुटकारा नहीं मिला.
कुरैशी ने बताया, 'डॉक्टरों ने यह कहकर हमें डरा दिया है कि पूंछ काटे जाने से अली की जान को खतरा होगा.'
कुरैशी अब बच्चे की सर्जरी के लिए राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
12 वर्षीय अरशद अली पंजाब के नबीपुर गांव का रहने वाला है और लोगों के बालाजी के नाम से जाना जाता है.
अरशद के नानाजी इकबाल कुरैशी कहते हैं, 'अरशद में हनुमान जैसे 9 ईश्वरीय चिन्ह हैं. पूंछ के अलावा उसके पैर पर पदम चिन्ह और बाएं हाथ पर सीता और कड़ा के चिन्ह हैं. वह लोगों के लिए बेहद खास है.'
अली का जन्म 15 फरवरी, 2001 को हुआ था. जैसे ही पूंछ वाले बच्चे के जन्म की खबर फैली, दूर-दूर से लोग उसके दर्शन के लिए उमड़ना शुरू हो गए. लोगों ने उसके घर में आकर प्रार्थनाएं करनी शुरू की दी और चढ़ावा चढ़ाया. तब से उसका घर मंदिर जैसा बन गया है, जहां श्रृद्धालु उसकी एक झलक पाने के लिए लंबी-लंबी कतारों में अपना नंबर आने का इंतजार करते हैं.
साधुगढ़ के एक सरकारी स्कूल में 8वीं कक्षा में पढ़ने वाला अली अपने नाना के साथ रहता है. उसके पिता राज मोहम्मद मजदूर थे, जो 4 साल पहले ही चल बसे. मां सलमा ने दूसरी शादी की और अब अपने पति के साथ रहती है.
कुरैशी कहते हैं 'हम लोगों से दान देने के लिए नहीं कहते. जो कुछ भी वह देते हैं, हम ले लेते हैं. दर्शन के लिए आए लोगों को अरशद आशीर्वाद दे देता है.'
हालांकि इस पूंछ की वजह से अली को चलने-फिरने में काफी परेशानी होती है. 5 साल पहले चंडीगढ़ के कई अस्पतालों में दिखाए जाने के बाद भी उसे इस पूंछ से छुटकारा नहीं मिला.
कुरैशी ने बताया, 'डॉक्टरों ने यह कहकर हमें डरा दिया है कि पूंछ काटे जाने से अली की जान को खतरा होगा.'
कुरैशी अब बच्चे की सर्जरी के लिए राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
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