पत्रकारों का दुश्मन, सत्ता का दलाल राधा वल्लभ शारदा
राधा वल्लभ शारदा है सत्ता का दलाल - उपाध्याय
सरकार ने जनता से बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए जनता के खजाने से दो सौ करोड़ रुपयों से अधिक की धनराशि मुहैया कराई है. इस धनराशि का लाभ प्रदेश के दूरदराज अंचल के पत्रकारों तक भी पहुंचे इसके लिए पत्रकार पंचायत के माध्यम से उचित तंत्र विकसित किया जा सकता है।पत्रकार पंचायत की इस पहल का पत्रकारों ने स्वागत किया है।
राधा वल्लभ शारदा है सत्ता का दलाल - आदित्य नारायण उपाध्याय
वे पत्रकार वास्तव में सत्ता के दलाल
साथियो पत्रकार पंचायत का स्वागत करने के लिए बुलाई गई पत्रकार वार्ता को प्रतिवादडॉटकॉम ने जस का तस प्रस्तुत कर दिया है. आप भी इसे देख सकते हैं और जान सकते हैं कि पत्रकार पंचायत किस तरह प्रदेश के आम नागरिकों के हित में है.
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साथियो पत्रकार पंचायत का स्वागत करने के लिए बुलाई गई पत्रकार वार्ता को प्रतिवादडॉटकॉम ने जस का तस प्रस्तुत कर दिया है. आप भी इसे देख सकते हैं और जान सकते हैं कि पत्रकार पंचायत किस तरह प्रदेश के आम नागरिकों के हित में है.
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इस खबर को पढ़कर समझा जा सकता है कि पत्रकारों की पंचायत बुलाए जाने का विरोध किस तरह पत्रकारों के ही एक संगठन से करवाया गया. ये आसानी से समझा जा सकता है कि पत्रकारों की पंचायत से किसे अपनी पोल खुलने का भय सता रहा है।
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पत्रकार पंचायत के आव्हान की गंभीरता को न समझकर जो सत्ता के दलाल इसे चौथे स्तंभ की बेईज्जती बता रहे हैं उनकी मंशा को बेनकाब करने के लिए पत्रकार पंचायत का आयोजन बहुत जरूरी है। जो लोग पत्रकारों की पंचायत को आज चौथे स्तंभ का अपमान बता रहे हैं वे इस पंचायत के आयोजन में सबसे अग्रिम कतार में बैठे नजर आएंगे। पत्रकारों की पंचायत से डरने वाले लोग वही हैं जिन्होंने अब तक लोकतंत्र के नाम पर चलने वाली बजट की लूट की मलाई खाई है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सशक्त बनाने का एसा अभिनव प्रयोग अब तक देश में पहले कभी नहीं हुआ है।
आदित्य नारायण उपाध्याय ओम प्रकाश हयारण आलोक सिंघई
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पत्रकार पंचायत के आव्हान की गंभीरता को न समझकर जो सत्ता के दलाल इसे चौथे स्तंभ की बेईज्जती बता रहे हैं उनकी मंशा को बेनकाब करने के लिए पत्रकार पंचायत का आयोजन बहुत जरूरी है। जो लोग पत्रकारों की पंचायत को आज चौथे स्तंभ का अपमान बता रहे हैं वे इस पंचायत के आयोजन में सबसे अग्रिम कतार में बैठे नजर आएंगे। पत्रकारों की पंचायत से डरने वाले लोग वही हैं जिन्होंने अब तक लोकतंत्र के नाम पर चलने वाली बजट की लूट की मलाई खाई है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सशक्त बनाने का एसा अभिनव प्रयोग अब तक देश में पहले कभी नहीं हुआ है।
आदित्य नारायण उपाध्याय ओम प्रकाश हयारण आलोक सिंघई
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