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एसएनसीयू में शिशुओं की मृत्यु दर हुई दुगनी 3 माह में 380 भर्ती, 45 रेफर और 33 मृत
जन्म के समय बीमार तथा निर्धारित से कम वजन के शिशुओं के उपचार हेतु चौधरी शंकरलाल दुबे शासकीय जिला अस्पताल में संचालित एस.एन.सी.यू में शिशुओं की मृत्यु का ग्राफ घट नहीं रहा है। इसके चलते जुलाई माह के शुरू से 11 दिनों के बीच यहां भर्ती 9 शिशुओं की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। अस्पताल के जिम्मेदार सूत्र कहते हैं कि एसएनसीयू में डेथ रेट निर्धारित से दो गुना है।
सलामत खां ,नरसिंहपुर
जिला अस्पताल में संचालित एसएनसीयू में एक साथ 18 शिशुओं के उपचार की सुविधा है। यहां कुल 18 शिशुओं के उपचार की सुविधा है। यहां कुल 18 केन्द्र हैं। जिला अस्पताल में जन्म लेने वाले बीमार बच्चों के साथ ही बाहर से भी रेफर होकर आने वाले शिशुओं का यहां उपचार किया जाता है। एक जुलाई से 11 जुलाई के बीच 46 बीमार शिशु यहां भर्ती कराए गए जिनमें 9 की मृत्यु हो गई। जिन बच्चों की मृत्यु हुई है। वे आउट बार्न अथार्त बाहर से रेफर होकर आए थे।
5 फीसदी है मानक-
जिला अस्पताल के सूत्रों के अनुसार निर्धारित मानक के अनुसार एसएनसीयू में उपचार के दौरान 5 फीसदी से अधिक शिशुओं की मृत्यु नहीं होनी चाहिए लेकिन अस्पताल के एसएनसीयू में शिशुओं का डेथ रेट 9.4 फीसदी है। यहां पर उपचार के दौरान शिशुओं की अधिक मृत्यु पर शासन तथा प्रशासन स्तर पर पहले ही चिन्ता जताई जा चुकी है। पूर्व में संयुक्त संचालक तथा कमिशनर स्तर के दौरे के समय यह समस्या आई थी तथा एहतियात बरतने के निर्देश भी दिए गए थे लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ।
कई उपकरण खराब-
एसएनसीयू जैसे अति संवेदनशील इकाई में कई उपकरण खराब बताए गए हैं। बच्चों को सांस संबंधी उपचार के लिए यहां 19 आक्सीजन कन्सलटेटर हैं लेकिन बताया गया है इनमें कई खराब हंै। इन उपकरण से बच्चों को सांस का इलाज किया जाता है। हांलाकि एसएनसीयू में ऑक्सीजन सिलेण्डर के माध्यम से यह काम किया जा रहा है लेकिन बताया गया है कि ऑक्सीजन कन्सलटेटर से बच्चों को कितनी तथा कितने देर ऑक्सीजन दी जाती है। इसका रिकार्ड रहता है तथा उस पर डारेक्टर का नियंत्रण रहता है लेकिन ऑक्सीजन गैस सिलेण्डर से यह काम सहज अनुमान तथा अनुभव के सहारे चलता है। एसएनसीयू स्टॉफ द्वारा पहने जाने वाले गाउन, बेडशीट, आदि जो भी कपड़े प्रयोग में लाए जाते है उनका हाइजनिक ड्रीटमेंट अर्थात साफ-सुथरा होना जरूरी है। इसके लिए आटो क्लेप मशीन है लेकिन बताया गया है कि वह खराब पड़ी है।
डॉक्टर रहते हैं गायब-
एसएनसीयू में 24 घंटा डॉक्टर की ड्यूटी होना अनिवार्य है। लेकिन पाया गया है कि दिन के समय प्राय: डॉक्टर गायब रहते हैं यहां के लिए 4 डॉक्टर स्वीकृत है। यहां के एक डॉक्टर का तबादला गाडरवारा हो जाने के बाद यहां तीन ही डॉक्टर बचे थे। डॉक्टरों की पूर्ति के लिए एक ओर डॉक्टर बने संविदा पर नियुक्ति कर दी गई है लेकिन 4 डॉक्टर होने के बावजूद कई बार देखा गया कि दिन के समय डॉक्टर यहां नहीं रहते। शनिवार को दिन के 12 बजे यहां कोई डॉक्टर नहीं मिला तथा स्वयं जिला अस्पताल का चतुर्थ श्रेणी का एक कर्मचारी अपने बच्चे को एसएनसीयू में डॉक्टर को दिखाने के लिए भटक रहा था। एसएनसीयू में भरपूर दवा है लेकिन व्यवस्था व डॉक्टर ड्यूटी कमजोर बताया गया है कि यहां के एक डॉक्टर तो कॉलड्यूटी करते है तथा कॉल करने पर भी देर से आते है। इमरजेंसी मैनेज यहां का नर्सिग स्टॉफ करता है।
3 माह में 33 की मृत्यु-
एसएनसीयू में अप्रैल, मई, जून तीन माह के दौरान 380 शिशुओं को उपचार के लिए भर्ती किया गया। इनमें 33 की मृत्यु हो गई तथा 45 को मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। 252 शिशु उपचार के बाद डिस्चार्ज किए गए।
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