TOC NEWS // 14 Aug. 2017
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के साथ ज्यादा से ज्यादा राज्यों के चुनाव कराए जाने की चर्चा सरकार में शुरू हो चुकी है. लोकसभा चुनाव के साथ कुछ राज्यों के चुनाव कराए जाने की संभावना पर विचार किया जा रहा है. मीडिया की खबरों के मुताबिक तालमेल बैठाने के लिए अगले लोकसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2018 में करवाए जा सकते हैं. बता दें कि खुद पीएम मोदी भी यह राय जाहिर कर चुके हैं कि देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाए जाएं.
सूत्रों का कहना है कि इस राजनीतिक बदलाव को समझने के लिए लोकसभा के पूर्व सेक्रटरी जनरल सुभाष सी कश्यप और कई सचिवों की राय जानने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी यह कह चुके हैं कि लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों से न सिर्फ सरकार के कामकाज पर असर पड़ता है बल्कि इससे देश पर आर्थिक भार भी पड़ता है.
मौजूदा नियमों के मुताबिक चुनाव तय समय से छह महीने पहले तक करवाए जा सकते हैं. लेकिन सरकार इन नियमों की जांच कर चुकी है जिसके मुताबिक इनमें बदलाव के लिए संविधानस संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी. संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक, ‘अगले लोकसभा चुनाव और उसके बाद छह महीनों में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों को साथ करवाया जा सकता है. संविधान में ऐसा प्रावधान है कि तय समय से 6 महीने पहले तक चुनाव करवाए जा सकते हैं. यह काम चुनाव आयोग कर सकता है और इसके लिए किसी संविधान संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी’
अगले लोकसभा चुनाव 2019 में होने हैं. मीडिया की खबरों के मुताबिक लोकसभा के चुनाव मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ करवाए जा सकते हैं. इन सभी राज्यों की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2018 में समाप्त हो रहा है. इन राज्यों में मिजोरम को छोड़कर बाकी राज्यों में बीजेपी सत्ता में है. जानकारों का मानना है कि सरकार के लिए बड़ी चुनौती सभी राजनीतिक दलों में सहमति बनाने की होगी. अगर सरकार आम सहमित बनाने में कामयाब हो जाती है तो तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के भी विधानसभा चुनाव भी साथ करवाए जा सकते हैं. इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल भी अप्रैल 2019 तक है.
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