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कैलाश सत्यार्थी बाल यौन शोषण एवं तस्करी के खिलाफ़ शुरू कर रहे हैं देशव्यापी आंदोलन।
नई दिल्ली, 22 अगस्त : नोबल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी देश भर में बाल तस्करी और बाल यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई का प्रसार करने के लिए ऐतिहासिक भारत यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं। यह यात्रा 'सुरक्षत बचपन-सुरक्षत भारत’ के प्रति उनके विश्वास का प्रतीक है। 35 दिनों की यह यात्रा 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी, जिसमें 1500 किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा। दक्षिण में यात्रा की शुरूआत कन्याकुमारी से होगी और पूरे पश्चिम भारत को कवर किया जाएगा। इसी तरह देश के पूर्वी हिस्से में यात्रा की शुरूआत गुवाहाटी से होगी, जबकि उत्तर भारत में श्रीनगर से इसकी शुरूआत होगी। यात्रा का समापन 15 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होगा।
कैलाश सत्यार्थी पिछले 36 वर्षों से दुनिया भर में बच्चों की आजादी, सुरक्षा और संरक्षा के लिए अभियान चला रहे हैं। उन्होंने 1998 में ऐतिहासिक ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर की अगुआई की थी, जिससे प्रेरित होकर आईएलओ ने बाल मजदूरी की सबसे खराब स्थिति के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन पारित किया। इसके साथ ही 2001 में शिक्षा यात्रा का नेतृत्व किया, जिसके बाद भारत के संविधान में शिक्षा का अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर शामिल किया गया। प्रेरणादायी वैचारिक नेता के तौर पर उन्होंने हमारे देश की सामाजिक और राजनीतिक नीतियों को प्रभावित करने में उत्प्रेरक भूमिका निभाई है। बच्चों के अधिकारों के लिए उनके अनथक प्रयासों और संघर्ष के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार (2014) से सम्मानित किया गया। 1893 में शिकागो में महान नेता स्वामी विवेकानंद के भाषण की सालगिरह की याद में इस यात्रा को 11 सितंबर को कन्याकुमारी के विवेकानंद मेमोरियल से रवाना किया जाएगा।
पीड़ित बच्चों के माता-पिता के साथ भारत यात्रा की घोषणा करते हुए श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा, “आज मैं बाल यौन शोषण और तस्करी के खिलाफ युद्ध का ऐलान करता हूं। आज मैं भारत यात्रा की घोषणा कर रहा हूं, जो कि बच्चों के लिए भारत को फिर से सुरक्षित बनाने के लिए इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन है। मैं यह स्वीकार नहीं कर सकता कि हमारे बच्चों की बेगुनाही, मुस्कराहट और आजादी छिनती रहे या उनका बलात्कार किया जा सके। यह साधारण अपराध नहीं है। यह एक नैतिक महामारी है जो हमारे देश को सता रही है।”
पिछले चार दशकों के दौरान बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ सबसे बड़े नागरिक आंदोलन के शिल्पकार रहे श्री सत्यार्थी का आजीवन मिशन बच्चों के खिलाफ सभी प्रकार के हिंसा को समाप्त करना है। श्री सत्यार्थी और उनका फाउंडेशन केएससीएफ सितंबर में इस यात्रा को शुरू करने के लिए कई महीनों से जमीन तैयार कर रहा है। इस सिलेसिले में श्री सत्यार्थी ने देश भर में यात्राएं कीं और नागरिकों, धार्मिक नेताओं, कर्मचारियों तथा कॉर्पोरेट्स, सांसदों, सामाजिक संगठनों आदि से मुलाकात की और सभी ने पूरे दिल से भारत यात्रा का समर्थन करने का वचन दिया और इसे हमारे देश के लिए एक आवश्यक लड़ाई करार देते हुए इस इस नेक कार्य की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
हाल ही में उन्होंने दिल्ली में सांसदों से मुलाकात कर बाल तस्करी और बाल यौन शोषण के मुद्दे पर जानकारी दी और इस खतरे के प्रति जागरूकता फैलाने में उनका समर्थन मांगा। पिछले महीने उन्होंने बेंगलुरू में लिंक्डइन के 500 से ज्यादा कर्मचारियों से बात की और लिंक्डइन जैसे कॉर्पोरेट्स को हमारे देश के भविष्य के लिए मजबूत रुख अपनाने की जरूरत के लिए प्रेरित किया और अगले कुछ महीनों तक यह कार्य जारी रहेगा। वह नई दिल्ली में कई धर्मों के प्रमुखों के साथ भी बैठक कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस लड़ाई में देश भर में समाज के सभी वर्गों का साथ मिले। दिल्ली में इस यात्रा से पर्दा उठाया गया जिसमें भारत यात्रा से संबंधित एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें देश भर के बच्चों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और संरक्षा के लिए एकजुट होने और लड़ने की अपील की गई है। इस अभियान के देश के 1 करोड़ हितधारकों तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत यात्रा बच्चों का बलात्कार और बाल यौन शोषण के खिलाफ तीन साल के अभियान की शुरूआत है, जिसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और मामला दर्ज करने, चिकित्सा स्वास्थ्य और मुआवजा सहित सुनवाई के दौरान पीड़ितों और गवाहों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा बाल यौन शोषण के दोषियों को समयबद्ध सजा दिलाने के मामलों में तेजी लाने के लिए संस्थागत प्रतिक्रिया को सुदृढ़ बनाना है।
इस लॉन्च में तस्करी और दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों के परिवारों को भी दिखाया गया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि कुछ लोगों के गलत व्यवहार की वजह से उन्हें किस तरह भावनात्मक और शारीरिक आघात का सामना करना पड़ा। परिवारों ने भी इस अभियान में समर्थन का वचन दिया और उम्मीद जताई कि यह क्रांति लाएगा और देश को बच्चों के शोषण के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने की जरूरत बताई।
कैलाश सत्यार्थी बाल यौन शोषण एवं तस्करी के खिलाफ़ शुरू कर रहे हैं देशव्यापी आंदोलन।
नई दिल्ली, 22 अगस्त : नोबल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी देश भर में बाल तस्करी और बाल यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई का प्रसार करने के लिए ऐतिहासिक भारत यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं। यह यात्रा 'सुरक्षत बचपन-सुरक्षत भारत’ के प्रति उनके विश्वास का प्रतीक है। 35 दिनों की यह यात्रा 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी, जिसमें 1500 किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा। दक्षिण में यात्रा की शुरूआत कन्याकुमारी से होगी और पूरे पश्चिम भारत को कवर किया जाएगा। इसी तरह देश के पूर्वी हिस्से में यात्रा की शुरूआत गुवाहाटी से होगी, जबकि उत्तर भारत में श्रीनगर से इसकी शुरूआत होगी। यात्रा का समापन 15 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होगा।
कैलाश सत्यार्थी पिछले 36 वर्षों से दुनिया भर में बच्चों की आजादी, सुरक्षा और संरक्षा के लिए अभियान चला रहे हैं। उन्होंने 1998 में ऐतिहासिक ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर की अगुआई की थी, जिससे प्रेरित होकर आईएलओ ने बाल मजदूरी की सबसे खराब स्थिति के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन पारित किया। इसके साथ ही 2001 में शिक्षा यात्रा का नेतृत्व किया, जिसके बाद भारत के संविधान में शिक्षा का अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर शामिल किया गया। प्रेरणादायी वैचारिक नेता के तौर पर उन्होंने हमारे देश की सामाजिक और राजनीतिक नीतियों को प्रभावित करने में उत्प्रेरक भूमिका निभाई है। बच्चों के अधिकारों के लिए उनके अनथक प्रयासों और संघर्ष के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार (2014) से सम्मानित किया गया। 1893 में शिकागो में महान नेता स्वामी विवेकानंद के भाषण की सालगिरह की याद में इस यात्रा को 11 सितंबर को कन्याकुमारी के विवेकानंद मेमोरियल से रवाना किया जाएगा।
पीड़ित बच्चों के माता-पिता के साथ भारत यात्रा की घोषणा करते हुए श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा, “आज मैं बाल यौन शोषण और तस्करी के खिलाफ युद्ध का ऐलान करता हूं। आज मैं भारत यात्रा की घोषणा कर रहा हूं, जो कि बच्चों के लिए भारत को फिर से सुरक्षित बनाने के लिए इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन है। मैं यह स्वीकार नहीं कर सकता कि हमारे बच्चों की बेगुनाही, मुस्कराहट और आजादी छिनती रहे या उनका बलात्कार किया जा सके। यह साधारण अपराध नहीं है। यह एक नैतिक महामारी है जो हमारे देश को सता रही है।”
पिछले चार दशकों के दौरान बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ सबसे बड़े नागरिक आंदोलन के शिल्पकार रहे श्री सत्यार्थी का आजीवन मिशन बच्चों के खिलाफ सभी प्रकार के हिंसा को समाप्त करना है। श्री सत्यार्थी और उनका फाउंडेशन केएससीएफ सितंबर में इस यात्रा को शुरू करने के लिए कई महीनों से जमीन तैयार कर रहा है। इस सिलेसिले में श्री सत्यार्थी ने देश भर में यात्राएं कीं और नागरिकों, धार्मिक नेताओं, कर्मचारियों तथा कॉर्पोरेट्स, सांसदों, सामाजिक संगठनों आदि से मुलाकात की और सभी ने पूरे दिल से भारत यात्रा का समर्थन करने का वचन दिया और इसे हमारे देश के लिए एक आवश्यक लड़ाई करार देते हुए इस इस नेक कार्य की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
हाल ही में उन्होंने दिल्ली में सांसदों से मुलाकात कर बाल तस्करी और बाल यौन शोषण के मुद्दे पर जानकारी दी और इस खतरे के प्रति जागरूकता फैलाने में उनका समर्थन मांगा। पिछले महीने उन्होंने बेंगलुरू में लिंक्डइन के 500 से ज्यादा कर्मचारियों से बात की और लिंक्डइन जैसे कॉर्पोरेट्स को हमारे देश के भविष्य के लिए मजबूत रुख अपनाने की जरूरत के लिए प्रेरित किया और अगले कुछ महीनों तक यह कार्य जारी रहेगा। वह नई दिल्ली में कई धर्मों के प्रमुखों के साथ भी बैठक कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस लड़ाई में देश भर में समाज के सभी वर्गों का साथ मिले। दिल्ली में इस यात्रा से पर्दा उठाया गया जिसमें भारत यात्रा से संबंधित एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें देश भर के बच्चों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और संरक्षा के लिए एकजुट होने और लड़ने की अपील की गई है। इस अभियान के देश के 1 करोड़ हितधारकों तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत यात्रा बच्चों का बलात्कार और बाल यौन शोषण के खिलाफ तीन साल के अभियान की शुरूआत है, जिसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और मामला दर्ज करने, चिकित्सा स्वास्थ्य और मुआवजा सहित सुनवाई के दौरान पीड़ितों और गवाहों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा बाल यौन शोषण के दोषियों को समयबद्ध सजा दिलाने के मामलों में तेजी लाने के लिए संस्थागत प्रतिक्रिया को सुदृढ़ बनाना है।
इस लॉन्च में तस्करी और दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों के परिवारों को भी दिखाया गया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि कुछ लोगों के गलत व्यवहार की वजह से उन्हें किस तरह भावनात्मक और शारीरिक आघात का सामना करना पड़ा। परिवारों ने भी इस अभियान में समर्थन का वचन दिया और उम्मीद जताई कि यह क्रांति लाएगा और देश को बच्चों के शोषण के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने की जरूरत बताई।
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