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दिल्ली। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने खुलेआम दावा किया है कि उनके खिलाफ चल रहे देशद्रोह के मुकदमे में कोर्ट में आरोप पत्र दायर करने के लिए पुलिस के पास कोई ठोस आधार नहीं है। जेएनयू परिसर में गत साल भारत विरोधी नारेबाजी का आरोप लगाए जाने के बाद देशद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे छात्र नेता ने कल रात यहां एक कार्यक्रम में कहा कि असल बात यह है कि देशद्रोह के मुकदमे में मेरे खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के लिए पुलिस के पास कुछ है ही नहीं।
अगर मेरे खिलाफ इतना महत्वपूर्ण मामला है, तो पुलिस ने अब तक अदालत में आरोप पत्र दायर क्यों नहीं किया हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपनी बेगुनाही का सबूत नहीं दे रहा हूं। मैं कुछ लोगों के झूठे प्रचार का पर्दाफाश कर रहा हूं। जेएनयू में नारेबाजी का मसला केवल इसलिए खड़ा किया गया, ताकि दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की मौत के बाद शुरू हुए अहम विमर्श से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके है।
कन्हैया ने संसद पर हमले के जुर्म में फांसी की सजा पाने वाले अफजल गुर की बरसी मनाए जाने के आरोपों से भी मना किया। 30 वर्षीय छात्र नेता ने कहा कि अगर उन्होंने सच में अफजल की बरसी मनाई होती, तो उन्हें देशद्रोह के मामले में जमानत पर छोड़ा नहीं जाता। कन्हैया ने गत लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के अच्छे दिन आएंगे के चर्चित नारे पर सवाल उठाते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कटाक्ष भरे लहजे में कहा कि अच्छे दिनों की वजह से देश में टमाटर और सेब एक भाव पर बिक रहे हैं तथा नागरिकों पर कर का बोझ बढ़ाया जा रहा है। जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ने सरदार सरोवर बांध परियोजना के कारण मध्यप्रदेश में विस्थापित होने जा रहे हजारों लोगों की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन के साथ एकजुटता भी दिखाई।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में आदर्श पुनर्वास के नाम पर अस्तबल सरीखे टीन शेडों में विस्थापितों के रहने का इंतजाम किया गया है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। छात्र नेता ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह संघ के लोगों को भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म और भगवा रंग पर बहस की खुली चुनौती देते हैं।
कन्हैया, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन और ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के संयुक्त जत्थे द्वारा कन्याकुमारी से हुसैनीवालां की यात्रा लॉन्ग मार्च के इंदौर पहुंचने पर इसके स्वागत समारोह में बतौर खास मेहमान शामिल हुए। स्थानीय दक्षिणपंथी संगठनों ने जेएनयू में गत साल कथित देशविरोधी नारेबाजी मामले के कारण दिल्ली स्थित संस्थान के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष के कार्यक्रम का विरोध किया।
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