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पहलाज निहलानी को शुक्रवार को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। अब उनकी जगह मशहूर लेखक, गीतकार प्रसून जोशी को सेंसर बोर्ड की जिम्मेदारी दी गई है।
पांच महीने पहले ही गंवा दी कुर्सी
पहलाज निहलानी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 19 जनवरी 2015 को सेंसर बोर्ड की कमान सौंपी थी। तत्कालीन सीबीएफसी अध्यक्ष लीला सैमसन ने सरकार पर काम में दखलअंदाजी का आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दिया था जिसके बाद उनके स्थान पर निहलानी को नियुक्त किया गया। निहलानी का कार्यकाल तीन वर्षों का था लेकिन बीच में ही उन्हें पद से हटा दिया गया।
सोशल मीडिया पर मिला 'संस्कारी निहलानी' का टैग
खुद को बीजेपी का प्रेरित समर्थक बताने वाले निहलानी पहली बार इंडस्ट्री और सोशल मीडिया के निशाने पर तब आए जब उन्होंने जेम्स बॉन्ड सीरीज की फिल्म 'स्पेक्ट्रा' से किसिंग सीन हटाने के आदेश देते हुए कहा था कि वे जरूरत से ज्यादा लंबे थे। हाल ही में फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' को महिला आधारित बताने, फिल्म 'हैरी मेट सेजल' से 'इंटरकोर्स' शब्द हटाने और अमर्त्य सेन की डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने को लेकर वह इंडस्ट्री के निशाने पर आ गए थे। फिल्म 'उड़ता पंजाब' में 89 कट्स लगाने के कारण भी निहलानी की काफी आलोचना हुई थी। आमिर खान समेत कई फिल्मी हस्तियों ने उनके कामकाज के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड का काम फिल्मों को सर्टिफिकेट देना है, सेंसर करना नहीं।
नए अध्यक्ष की रेस में आया था इनका भी नाम
पिछले कुछ दिनों से खबरें मिल रही थी मंत्रालय निहलानी को पद से हटाने पर विचार कर रहा है। बोर्ड के नए अध्यक्ष पद की रेस में फिल्ममेकर प्रकाश झा, चंद्रप्रकाश द्विवेदी और मधुर भंडारकर के नाम भी सामने आ रहे थे।
विद्या बालन बनीं सेंसर बोर्ड की सदस्य
मशहूर अभिनेत्री को सेंसर बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया है। वह भारत सरकार की 'स्वच्छ भारत अभियान' की भी ब्रांड एंबैस्डर हैं।
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