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5 Aug. 2017
यूपीए के दौर में एक वक़्त था जब नेहरू-गांधी परिवार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए न केवल कांग्रेस कार्यकर्ता बल्कि पार्टी के मुख्यमंत्री तक दिग्विजय सिंह के दरवाज़े पर दस्तक दिया करते थे. उन्हें पार्टी का अनाधिकारिक प्रवक्ता माना जाता था. कहा जाता था कि कांग्रेस जो बात आधिकारिक रूप से नहीं कह सकती, वो दिग्विजय सिंह कहते हैं.
कट्टरवादी कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पार्टी के सभी पदों से मुक्त होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को इस्तीफा भेजा है.
उन्होंने 30 सितम्बर से प्रस्तावित अपनी नर्मदा यात्रा का हवाला देते हुए राहुल गांधी से महासचिव समेत अन्य सभी पदों से मुक्त करने की अपील की. माना जा रहा है कि इस्तीफे के पीछे उन्हें तेलंगाना के प्रभारी पद से हटाए जाना बड़ा कारण है. दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद विश्वासपात्र है.
केंद्र में 10 साल तक रही यूपीए की सरकार में मंत्री न होते हुए भी उनका कद पार्टी में काफी मजबूत है हालांकि गोवा चुनाव के बाद से दिग्विजय से कर्नाटक और गोवा का प्रभार ले लिया गया था. अभी हाल ही में उनसे तेलंगाना की जिम्मेदारी लेकर आर.सी. खुंटिया को दे दी गई.
दिग्विजय अब आंध्र प्रदेश का प्रभार भी छोड़ देना चाहते हैं. अब वे केवल आंध्र प्रदेश के प्रभारी महासचिव हैं, जहां कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है. मध्य प्रदेश के दो बार सीएम रहे दिग्विजय कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सदस्य हैं. इसके अलावा, पार्टी के कई राष्ट्रीय पैनल के भी हिस्सा हैं.
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