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राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब उपराष्ट्रपति चुनाव सुर्खियों में छाया हुआ है। उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर दोनों की तरफ से खासा जोर लगाया जा रहा है। जहां एक तरफ विपक्ष की तरफ से गोपाल कृष्ण गांधी का नाम सामने आया तो एनडीए ने इस रण में एम वेंकैया नायडू को उतारा।
लेकिन अगर आंकड़ों की बात की जाए तो यह पहले से ही साफ हो गया था कि एनडीए के प्रत्याशी ही इस रण में विजय रथ पर सवार होंगे। 5 अगस्त को जब वोटों की गिनती हुई तो अकेले वेंकैया नायडू को 516 वोट हासिल हुए। इस रेस में कुल 771 वोट डाले गए थे। जिसमें 760 वोट मान्य हुए हैं। जबकि गोपाल कृष्ण गांधी को 244 वोट हासिल हुए हैं। ऐसे में एक तरफ जहां पर बीजेपी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई है तो दूसरी तरफ विपक्षी खेमे में दुख के बाद फट गए हैं।
देश को अपना अगला उपराष्ट्रपति मिल गया है। अब उपराष्ट्रपति की कुर्सी एम वेंकैया नायडू संभालने वाले हैं। लेकिन उनका ऊषापति से उपराष्ट्रपति कैसे बने यह देखने वाली बात है। एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार एम वेंकैया नायडू का नाम पर पहले ही अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन उन्होंने अपने नाम की सारी अटकलों को खारिज किया था। वेंकैया नायडू ने इस खबर को अपने अंदाज में खारिज करते हुए कहा कि वो राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं।
आंध्र प्रदेश का बड़ां चेहरा हैं वेंकैया नायडू
पूर्व केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू का कहना था कि न तो उन्हें राष्ट्रपति बनने में दिलचस्पी है और न ही उपराष्ट्रपति बनने में, उन्होंने कहा कि मैं ऊषा पति बनकर ही खुश हूं। ऊषा वेंकैया नायडू की पत्नी का नाम हैं। नायडू ने अपने अंदाज में उन सभी अटकलों को खारिज कर दिया था। जिसमें उन्हें राष्ट्रपति बनाने की बात की जा रही थी। पिछले काफी दिनों से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वेंकैया नायडू, शरद यादव के अलावा कई अन्य नेताओं के नाम इस दौड़ में बताए जा रहे थे।
वेंकैया नायडू का नाम इस लिए बार-बार चर्चा में आ रहा था कि क्योंकि बीजेपी लगातार दक्षिण की राजनीति में अपनी पैर पसारने की कोशिश कर रही है। वेंकैया आंध्र प्रदेश और तेंलगाना का एक बड़ा चेहरा हैं जिसका फायदा बीजेपी को भी हो सकता है। इसलिए वेंकैया नायडू इस चर्चा का सबब बने हुए हैं। वेंकैया नायडू का कहना था कि वह अगर इस दौड़ में शामिल हो जाएंगे तो उन्हें लोगों के बीच जाने का समय नहीं मिलेगा। उनका कहना था कि वह लोगों के बीच में ही रहना चाहते हैं इसलिए वह इस रेस से बाहर हैं। लेकिन सोमवार को जैसे ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उनके नाम पर मुहर लगाई तो सब हैरान हो गए। क्योंकि उन्होंने पहले ही अपने आप को इस रेस से बाहर बताया था।
आकड़ों के हिसाब से पहले से थी जीत तय
बीजेपी का इन दिनों पूरे देश में डंका बोलने लग रहा है। इसलिए उपराष्ट्रपति के पद के लिए वेंकैया नायडू का जीतना पहले से ही तय माना जा रहा था। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 5 अगस्त को वोटिंग हुई इसी दिन उपराष्ट्रति के नाम का ऐलान भी ऐलान हो गया और एम वेंकैया नाडयू को उपराष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त कर दिया गया। इस रेस में वेंकैया नायडू की जीत लगभग तय मानी जा रही थी। क्योंकि वैंकेया नायडू के पास 556 सदस्यों का समर्थन है। ऐसे में विपक्ष को एनडीए के हाथों करारी हार का सामना भी करना पड़ा है। वेंकैया नायडू ने जब नामांकल करा था उस वक्त से ही उनकी जीत को तय माना जा रहा था।
वही उपराष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए 393 सांसदों का समर्थन चाहिए होता है। और लोकसभा में बीजेपी के पास 336 सांसद हैं, 70 सांसद बीजेपी के पास राज्यसभा में हैं। इस तरह वोटों के गणित के अनुसार बीजेपी के पलड़ा पहले से ही भारी था। बीजेपी के पास सीधे तौर पर 406 सांसदों का समर्थन हैं। वोटों का गणित के अनुसार वेंकैया नायडू को पहले से ही उपराष्ट्रपति मान लिया गया था। उपराष्ट्रपति का चुनाव राज्यसभा और लोकसभा मिलकर करते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के पास काफी कम वोट थे लेकिन दूसरी तरफ एनडीए के पास वोटों की भरमार है। 406 सांसदों का बीजेपी की तरफ सीधे समर्थन मिलने के बाद अब एआईडीएमके, बीजेडी, टीआरएस जैसी दिग्गज पार्टियों के अलावा अन्य कई सारी पार्टियों ने वेंकैया नायडू को समर्थन देने का ऐलान किया था। वोटों का गणित यह बताता है कि यूपीए के पास कुल मिलाकर सिर्फ 206 सांसदों का ही समर्थन था। साफ तौर पर देखा जा सकता था कि बीजेपी यहां पर भी विपक्ष को करारी हार देने में सफल हो जाएगी और ऐसा ही हुआ।
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