Saturday, July 7, 2018

आदिवासियों – गरीबों को अब मिलेगा लघु वनोपजों का उचित न्याय संगत मूल्य

TOC NEWS @ www.tocnews.org
जबलपुर // प्रशांत वैश्य  : 7999057770
  • मूल्य  लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय चिन्हित
  • हाट बाजारों में लघु वनोपजों की होगी सरकारी खरीद  
जबलपुर। जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार के सचिव दीपक खाण्डेकर ने कहा कि केन्द्र सरकार ने आदिवासियों और संग्रहणकर्ताओं द्वारा एकत्रित लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। जिसमें उन्हें वनोपजों की उचित और न्याय संगत कीमत मिल सके। इसके लिए शासन द्वारा महत्वाकांक्षी योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। 
सचिव श्री खाण्डेकर ने शनिवार को जबलपुर में होटल कल्चुरि रेसीडेन्सी में जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार, ट्राइबल कोआपरेटिव मार्केटिंग डवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (ट्राईफेड) और अन्य सहायक विभागों के संयुक्त तत्वावधान में लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, मूल्य सम्वर्धन श्रृंखला के विकास और वनधन योजना पर आधारित कार्यशाला का शुभारंभ करने के बाद कहा।
कार्यशाला में ट्राईफेड के प्रबंध संचालक प्रवीर कृष्ण म.प्र. (लघु वनोपज संघ) के प्रबंध संचालक राजेश कुमार, अनुसूचित जनजातीय विभाग के सचिव राजेश मिश्रा, संभागायुक्त जबलपुर संभाग आशुतोष अवस्थी मंचासीन थे। कार्यशाला में कलेक्टर जबलपुर छवि भारद्वाज सहित जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण, वन, राज्य आजीविका मिशन, उद्योग, महिला एवं बाल विकास, सैडमेप आदि विभागों के अधिकारी तथा आदिवासी कल्याण कार्य में संलग्न स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।
बैठक में प्रस्तावित योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की गई तथा सुझाव प्राप्त किए गए। सचिव दीपक खाण्डेकर ने कहा कि योजना से वनोपज जमाकर्ताओं, आदिवासियों के लिए आजीविका का बेहतर साधन विकसित होगा। उनका आय स्तर बढ़ेगा तथा लघु वनोपजों की दीर्घकालिक उपज सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार तेंदूपत्ता संग्रहण और व्यापार के लिए विकसित तंत्र स्थापित हो चुका है। उसी तरह लघु वनोपज संग्रहण और व्यापार के विकास के लिए कार्य किए जाएंगे।
योजना से आदिवासी समूहों को जोड़ा जाएगा। इस योजना में प्रथम चरण में तेईस गैर राष्ट्रीयकृत और गैर एकाधिकार प्राप्त वनोपजों को शामिल किया गया है। इस योजना में आदिवासियों को संग्रहित लघु वनोपजों को एक विशेष मूल्य पर खरीद का आश्वासन मिलता है। प्रसंस्करण, भण्डारण, ढुलाई की रूपरेखा तय की गई है। श्री खाण्डेकर ने कहा कि योजना को दूरस्थ अंचल तक पहुंचाया जाए तथा आदिवासियों और उनके समूह को जोड़ा जाए। समर्थन मूल्य से वनोपज जमाकर्ताओं को अवगत कराया जाए।
ट्राईफेड के प्रबंधक संचालक प्रवीर कृष्ण ने कहा कि योजना के अन्तर्गत भारत सरकार सभी राज्य सरकारों को 75 प्रतिशत वित्तीय सहायता देगी और 25 प्रतिशत राज्य सरकार देगी। विभिन्न जनपदों में वनोपज खरीद के लिए राज्य स्तरीय क्रियान्वयन संस्थाएं हाट बाजारों का चयन लघु वनोपजों की मात्रा, कनेक्टिविटी और ढुलाई सम्बन्धी आवश्यकता के आधार पर करेगी। प्रथम चरण में 235 हाट बाजार चिन्हित किए गए हैं। हाट बाजार के  आधुनिकीकरण का प्रावधान रखा गया है। जिसमें पांच लाख रूपए का प्रावधान किया गया है।
भण्डारण के लिए ब्लाक स्तर पर 50 मेट्रिक टन क्षमता वाले छोटे गोदामों के लिए तीन लाख 25 हजार रूपए का प्रावधान किया गया है। गोदाम, प्रसंस्करण इकाई, कोल्ड स्टोरेज इत्यादि के निर्माण के लिए भी वित्तीय सहायता उपलब्ध रहेगी। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार का जनजातीय कार्य मंत्रालय नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करेगा और ट्राईफेड के तकनीकी सहयोग से चयनित लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करेगा। ट्राईफेड राज्य स्तरीय क्रियान्वयन संस्थाओं के माध्यम से केन्द्रीय नोडल संस्था की तरह कार्य करेगा।
राज्य सरकार द्वारा नामित संस्थाएं सभी व्यक्तिगत अथवा सामूहिक लघु वनोपज संग्रहणकर्ताओं से सीधे हाटों या अधिसूचित खरीदी केन्द्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अधिसूचित लघु वनोपजों को खरीदेगी और सुनिश्चित करेगी कि लघु वनोपज संग्रहणकर्ताओं को पूरी राशि का भुगतान शीघ्र हो सके। प्रत्येक हाट बाजार में सरकारी खरीद का काम चिन्हित की गई स्वयं सहायता समूह, प्राथमिक सोसायटी वृहद् आकारीय आदिवासी बहुउद्देशीय सोसायटी द्वारा किया जाएगा। कार्यशाला में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने योजना के विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला तथा उपयोगी सुझाव प्राप्त किए।
यह तथ्य भी सामने आया कि शासन की इस पहल से जहां एक ओर आदिवासियों को आजीविका का बेहतर साधन मिलेगा वहीं लघु वनोपजों के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में प्रयास होंगे। वनों की जैव विविधता भी बढ़ेगी। जीविका के लिए वनों पर निर्भर आदिवासी परिवार आय का 40 प्रतिशत तक लघु वनोपजों से प्राप्त करते हैं। ज्यादातर लघु वनोपज महिलाओं द्वारा संग्रहित किए जाते हैं। योजना से महिलाओं और गरीब का आर्थिक सशक्तिकरण होगा। क्रमांक/1102/जुलाई-87/खरे।।

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