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भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा सत्तारुढ़ दल है। भोपाल में नगरनिगम पर भी भाजपा का राज है। महापौर, सीएम, पीएम सब भाजपा के हैं बावजूद इसके भाजपा नेताओं के तमाशे जारी हैं। लगतार दूसरे दिन बारिश के बाद जब शहर में पानी भरा तो इससे पहले कि जनता नाराज हो और गुस्से का शिकार होना पड़े, महापौर खुद पीडब्ल्यूडी के खिलाफ धरने पर बैठ गए।
होना यह चाहिए था कि वर्षा से पहले ही महापौर, सीएम शिवराज सिंह से मिलते और समस्या का हल निकालते परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब नौटंकी शुरू कर दी है। इससे पहले भी प्रदेश भर में भाजपा के कई जनप्रतिनिधि इसी तरह एक दूसरे के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।
भोपाल के सेफिया कॉलेज के पास से गुजर रहे नाले पर पीडब्ल्यूडी का पुल है। इस पुल के कारण नाले का पानी बाधित हो रहा है और पानी सड़कों पर बह रहा है। लोगों के घरों में पानी घुस गया है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी इस नाले को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहे जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पीडब्ल्यूडी विभाग के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से नाराज महापौर आलोक शर्मा सेफिया कॉलेज के पास कॉलोनी में भरे पानी में ही कुर्सी लगाकर धरने पर बैठ गए हैं।
धरना नहीं इस्तीफा देना चाहिए
ऐसी स्थिति में महापौर आलोक शर्मा को धरना नहीं इस्तीफा देना चाहिए। यह तमाशा बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार कर रही है। विकास के लिए ऐजेंसियां पहले भी बहुत सारी थीं और हमेशा रहेंगी। समन्वय बनाकर ही काम किया जाता है। यदि शहर की किसी भी समस्या का हल नहीं निकाला जा सका तो इसके लिए महापौर ही जिम्मेदार होगा। धरना देने से कलंक धुल नहीं जाएगा यह तो जनता को बहलाने वाली बात है जबकि महापौर भोपाल के सर वह सर्वर हैं और उनके आदेश पर पूरा नगर निगम अमला काम पर जुट सकता है धरना देने की जरूरत ही नहीं पड़ती
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