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लोकसभा का चुनाव जैसे -जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे ही राम मंदिर का मुद्दा गरमाता जा रहा है, गौरतलब है कि जहां बीजेपी के लिए राम मंदिर का मुद्दा ध्रुवीकरण का एक मात्र सबसे असरदार हथियार है
और विपक्ष के लिए चुनाव के समय यह मुद्दा किसी नासूर से कम नही है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की अयोध्या में राम जन्मभूमि में पूजा की याचिका पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी से कहा कि वह याचिका का बाद में उल्लेख करें.
आपको बता दें कि जब सुब्रमण्यम स्वामी यह याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने विवाद के संबंध में स्वामी की याचिका को तुरंत सूचीबद्ध किए जाने और उसपर सुनवाई के अनुरोध पर विचार करने के बाद कहा कि आप बाद में इसका उल्लेख करें. सुब्रमण्यम स्वामी को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसल से बड़ी निराशा हाथ लगी है।
इस सारे घटनाओं पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि 'बाद में' शब्द बहुत ही विस्तृत अर्थ वाला है और वह 15 दिन बाद फिर से इस याचिका को रखेंगे. उच्चतम न्यायालय स्वामी की ऐसी ही अपील पहले भी अस्वीकृत कर चुका है. बीजेपी नेता स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अयोध्या राम जन्मभूमि में पूजा के अधिकार की मांग की. दरअसल, अयोध्या मुख्य मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनकी याचिका को मुख्य मामले से अलग कर दिया था.
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि संपत्ति के अधिकार को लेकर मुकदमा नहीं है, लेकिन पूजा करने का अधिकार मुझे है, प्रत्येक हिंदू को है. और इसी के आधार पर हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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