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नई दिल्ली : इस साल 2018 के संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हो चुकी है। मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष सहित कई पार्टियों ने लोकसभा स्पीकर के सामने अविश्वास प्रस्ताव रखा था। जिसमें से लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर तेलुगु देशम पार्टी (पीडीपी) की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकर किया।
अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार( 20 जुलाई) को चर्चा और मत विभाजन है। ऐसे में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाला मुख्य दल तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) इस पर सबसे पहले चर्चा करेगा कि आखिर लोकसभा में उसे बोलने के लिए 13 मिनट का समय दिया गया है। पार्टी की ओर से जयदेव गल्ला पहले वक्ता होंगे। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को प्रस्ताव पर अपने विचार रखने के लिए 38 मिनट का समय दिया गया है। कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और सदन में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इस पर बोल सकते हैं। राहुल गांधी सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष की ओर से बोलेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी का ये पहला मौका होगा।
तेलुगु देशम पार्टी का यह सवाल है कि आखिर उन्हें 13 मिनट, कांग्रेस को 38 मिनट अन्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक को 29 मिनट, तृणमूल कांग्रेस को 27 मिनट , बीजू जनता दल (बीजद) को 15 मिनट, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को 9 मिनट और अकेले बहुमत वाली सत्तारूढ़ बीजेपी को चर्चा में तीन घंटे और 33 मिनट का समय दिया गया है। ऐसा क्यों?
हालांकि अभी तक इस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की कोई टिप्पणी नहीं आई है। सत्र के पहले ही दिन सुमित्रा महाजन ने कहा था, ''अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई (शुक्रवार) को चर्चा और मत विभाजन होगा । इस पर पूरे दिन चर्चा होगी और उसी दिन वोटिंग होगी।'' सदस्यों की ओर से चर्चा के लिए कुछ और समय बढ़ाने की मांग पर स्पीकर ने कहा कि सात घंटे का समय चर्चा के लिए रखा गया है। इस दिन प्रश्नकाल नहीं चलेगा और गैर-सरकारी कामकाज नहीं होगा। सिर्फ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी।
लोकसभा का मौजूदा आकड़ा
लोकसभा की कुल सदस्य संख्या 544 है। मौजूदा सांसदों की संख्या 534 है। 10 खाली है। बहुमत का जादुई आंकड़ा 268 है। 535 में से एनडीए के पास 312 सांसद हैं। अकेले भारतीय जनता पार्टी के पास 273 सांसद हैं। ऐसे में मोदी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव से निपटने में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। वहीं विपक्षी दलों में कांग्रेस के पास 48 सांसद, टीएमसी के पास 34 और टीडीपी के पास 16 सांसद हैं। कुल मिलाकर यह आंकड़ा 147 पर पहुंचता है। इसके अलावा गैर-गैठबंधन वाले दलों के पास कुल 73 सीटें हैं। ऐसे में सरकार को अविश्वास प्रस्ताव से चिंता करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव
भारत में जब किसी विपक्षी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव पेश करता है। इसके लिए वह सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर को इसकी लिखित में सूचना देता है। इसके बाद स्पीकर उसी दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहता है। अविश्वास प्रस्ताव को तभी स्वीकार किया जा सकता है, जब सदन में उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो।
मॉनसून सत्र 2018
भारतीय संसद का मॉनसून सत्र 2018 18 जुलाई से प्रारम्भ होकर 10 अगस्त तक चलेगा। सदन के के कुल 24 दिनों के इस सत्र में कुल 18 दिन सदन की बैठक होगी। सदन के इस सत्र में कुल 48 मामले पेश होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार इस दौरान 46 विधेयक और दो वित्तीय विधेयक पेश करेगी। इस सत्र में तीन तलाक़, मेडिकल एजुकेशन बिल और ट्रांसजेंडर बिल जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पेश होने वाले हैं।
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