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मध्यप्रदेश विधानसभा के सचिवालय में 41 पदों की भर्ती प्रक्रिया पर बवाल जारी है, भोपाल सचिवालय में इसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष में जमकर ठन गई हैI उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा को पत्र लिखकर एक बार फिर विधानसभा सचिवालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
वहीं उन्होंने 2014 से अभी तक विधानसभा में हुई नियुक्तियों के आदेश की प्रतिलिपियाँ मांगी हैI उन्होंने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित की जाना थी, लेकिन सचिवालय ने जारी रखी है। वहीं उपाध्यक्ष के पत्रों से शर्मा नाराज है और उन्होंने दो टूक कह दिया है कि यह कोई प्रश्नकाल नहीं चल रहा है जो उनको जवाब देता रहूँ| विधानसभा में नियुक्ति की प्रक्रिया पहले भी विवादों में रही है। सरकार ने अवैध नियुक्ति के आरोप में 2015 में पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर केस दर्ज कराया था। चुनाव से पहले एक बार फिर भर्ती प्रक्रिया विवादों में है,
अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए गुपचुप तरीके से भर्ती कराने के आरोप लग रहे हैंI इस मामले में विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का बयान सामने आया है जिसमे उन्होंने भर्ती की प्रक्रिया को नियमानुसार बताया है| उन्होंने एक अखबार को दिए बयान में कहा है भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने और रोजगार कार्यालय से पद भरने का विकल्प है। ये परंपरा पहले से चली आ रही है, जिसमें विज्ञापन नहीं दिए जाते हैं। पहली बार सभी 51 जिलों में रोजगार कार्यालयों को सूचित किया गया है। कोई नियम तोड़ा नहीं गया है।
दरअसल, विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने पिछली दिनों सचिवालय में होने वाली भर्तियों में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने का आग्रह करते हुए विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. सीतासरन शर्मा को पत्र लिखा था, उन्होंने कहा था कि नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह स्पष्ट एवं पारदर्शी प्रक्रिया के तहत की जाए। साथ ही सिविल सेवा नियमों का पालन किया जाए।इस पत्र के बाद नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गई, लेकिन उपाध्यक्ष को आशंका है कि पिछले पांच साल में जो भी भर्तियां हुई हैं वो भी नियम विरुद्ध हैं|
उन्होंने दो पात्र और लिखे पहले पात्र में 2014 से अभी तक की सभी नियमित और संविदा नियुक्तियों की जानकारी मांगी है और दुसरे पत्र में विधानसभा के प्रमुख सचिव एपीसिंह के उन बयानों पर आपत्ति की है, जिसमे उन्होंने नियुक्तियों को नियमानुसार बताया था, विधानसभा उपाध्यक्ष का कहना है कि सचिवालय को नियम से चलाया जाता है। सरकारी पदों पर भर्ती में विज्ञापन निकालना चाहिए थे। केवल 10 रोजगार कार्यालयों को सूचना भेजने से शंका बढ़ गई है। हमने पत्र से अध्यक्ष के ध्यान में ला दिया है।
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