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बैतूल, केन्द्र की कहे या राज्य की भाजपा शासित सरकार को कांग्रेस या राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी कस्तुरबा गांधी ( बा ) के नाम एवं काम से एलर्जी है या फिर केन्द्र एवं राज्य सरकार के अफसर नही चाहते कि कांग्रेस या श्रीमति कस्तुरबा गांधी ( बा ) का नाम एवं काम पूरी दुनिया में मिसाल - बेमिसाल बने। बैतूल जिले के क्रियाशील पत्रकार एवं माँ सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामकिशोर पंवार ने बैतूल जिला कलैक्टर के माध्यम से जिले के एक गांव धनोरा (कांग्रेस धनोरा) का नाम परिवार नियोजन अपनाने के चलते प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में शामिल करवाने को लेकर की गई पहल पर बैतूल जिले में पोती गई कालिख का आरटीआई आवेदन में खुलासा हुआ है।
प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात की स्वर्गीय कस्तुरबा पत्नि राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी ( बा ) 1922 में अखण्ड भारत के केन्द्र बिन्दू कहे जाने बैतूल जिले में पुण्य सलिल माँ सूर्यपुत्री ताप्ती के किनारे बसे गांव धनोरा (कांग्रेस धनोरा) में कांग्रेस के प्रथम प्रांतीय सम्मेलन में आई थी। यहां पर स्वर्गीय जमना लाल बजाज, माखनलाल चतुर्वेदी, सेठ गोविंद दास, पंडित सुंदरलालल, राष्ट्रकवि सुभद्रा कुमारी चौहान , पंडित स्विशंकर शुक्ल, की मौजूदगी सम्मेलन में की अध्यक्षता कर रही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी श्रीमति कस्तुरबा गांंधी बा ने नारा दिया था ** छोटा परिवार - सुखी परिवार ** - ** हम दो - हमारे दो ** इस गांव ने आज दिनांक तक ** छोटा परिवार - सुखी परिवार ** के मूल मंत्र को अपनाया है। गांव की आबादी वर्ष २००१ में इस गांव में पुरूषो की संख्या ८३९ तथा महिलाओं की संख्या ८०३ कुल जनसंख्या १६42 वही वह २०११ में पुरूषो की संख्या भी ८८४ तथा महिलाओ की संख्या ८०३ कुल जनसंख्या १६८७ थी। वर्तमान में ९५० पुरूष तथा ८०७ महिला कुल १७५७ है।
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की आठनेर जनपद की ग्राम पंचायत धनोरा के मूल ग्राम धनोरा ( जिसे कांग्रेस धनोरा के नाम से पुकारते है ) में कुल मकान ३२४ है तथा परिवारो की संख्या ३७१ है। धनोरा में कुल योग्य दपंत्ति २५७ में सरकारी रिकार्ड की माने तो १८४ ने स्वत: परिवार नियोजन को अपनाया है। इस गांव का नाम प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात में शामिल करने के लिए मैने पत्राचार पीएमओ से लेकर बैतूल कलैक्टर से बीते 2 वर्षो से लगातार किया लेकिन चूंकि गांव का नाम कांग्रेस धनोरा और गांव की प्रेरक के रूप में कस्तुरबा गांधी का नाम आने की वजह से मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार एवं उसका सरकारी तंत्र इस गांव का नाम पीएमओ तक न पहुंचे इस बात को लेकर भ्रामक जानकारी देता रहा है।
श्री पंवार ने संलग्र दस्तावेज के अनुसार गांव के बारे में डाँ प्रदीप मोजेस जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दिनांक ६ फरवरी २०१६ को पत्र क्रमांक मीडिया / २०१५-२०१६ /३२३५ एवं ३६ / २०१६ के अनुसार बैतूल कलैक्टर को जानकारी दी कि गांव में 2 से लेकर 5 बच्चो पर आपरेशन करवाने वाले हितग्राही है इसलिए इस गांव का नाम पीएमओ की के कार्यक्रम मन की बात में शामिल किया जाना तथ्यहीन है। लेकिन रामकिशोर पंवार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जब सभी परिवार नियोजन अपनाने वाले दंपत्ति की जानकारी मांगी गई तो उसमें जो प्रमाण आए उसके अनुसार गांव में एक भी ऐसा परिवार नहीं मिला जिनकी पांच संताने थे और जो गांव के मूल रहवासी है।
इसी तरह 4 बच्चो पर आपरेशन करवाने वालो की संख्या 23 बताई गई जब नामो की सूचि मांगी गई तो उसमें 4 बच्चो पर आपरेशन करवाने वालो के 5 लोगो की जानकारी दी जिसके बारे में जब मैने पता किया तो पता चला कि वे गांव के मूल रहवासी नही है। बाहर गांव से आकर बसे ऐसे पांच परिवारो को सूचिबद्ध किया गया। 3 बच्चो पर नसबंदी करवाने वालो की पूर्व में संख्या ५२ बताई गई लेकिन जब नाम की जानकारी मांगी तो उक्त संख्या १२ हो गई। इसी तरह 2 बच्चो पर नसबंदी करवाने वालो की संख्या १०४ बताई गई जो घट कर ४३ रह गई। पूर्व में दी गई जानकारी में बताया गया कि १८४ लोगो ने नसबंदी करवाई ऐसा बताया गया लेकिन जानकारी सूचि मांगने पर संख्या घट कर ६० हो गई। स्वर्गीय कस्तुरबा गांधी बा के द्वारा प्रेरित इस गांव की जनसंख्या १९६१ में १४१० थी जो वर्तमान में १७५७ के लगभग है।
मात्र 58 वर्षो में गंाव की जनसंख्या 2७७ बढ़ी है। १९२२ से गांव धनोरा से टूट कर पुसली, धनोरी, जावरा , जैसे गांव बने और इन गांवो की जन संख्या वर्तमान में दो हजार से ऊपर हो चुकी है लेकिन धनोरा गांव १९२२ से लेकर २०१८ तक दो हजार के आकड़े को छूना तो दूर १८ सौ के आकड़े तक नहीं पहुंच सका है। गांव के बारे में जो महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए है उनके अनुसार धनोरा गांव में ऐसे लोगो की संख्या 1९ है जिनके 1 भी बच्चा नहीं है। 1 बच्चे वाले ३० 2 बच्चे वाले 14 3 बच्चे वाले १० तथा गांव में कथित निरोध का उपयोग करने वाले २२ दपंत्ति है। गांंव की जन्मदर ८.५३ है। गांव में औसतन एक साल में बमुश्कील १५ बच्चे जन्म लेते है। बैतूल जिले के अधिकारियों ने सरकारी लक्ष्यपूर्ति के लिए स्वप्रेरित गांव को नसबंदी अपनाने वाला बता कर गांव के आदर्श को कालिख पोतने का काम किया है।
दुनिया में धनोरा एक मात्र ऐसा गांव है जो 1922 से लेकर आज तक परिवार नियोजन के अपने फैसले पर अटल है जबकि गांव के अधिकांश लोग अब इस दुनियां में नहीं है जो बा की बातो को लेकर चल पड़े थे कि छोटा परिवार - सुखी परिवार , हम दो - हमारे दो । श्री पंवार ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी को पत्र लिख कर उनसे अनुरोध किया है कि उन्हे बड़ी प्रसन्नता होगी यदि आप मेरे कहने पर या मेरे इस पत्र को अवलोकन करने के बाद यदि बिना किसी भेदभाव के इस गांव को अपने कार्यक्रम मन की बात में शामिल करते है।
श्री पंवार ने इस संदर्भ में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को भी पत्र लिखा है जिसमें उनसे आग्रह किया है कि 1922 में कांग्रेस के प्रांतीय अधिवेशन में लिए गए संकल्प पर वचनबद्ध गांव धनोरा जिसकी पहचान कांग्रेस धनोरा के रूप में भी है उस गांव को लेकर एवं बा की प्रेरणा को पूरी दुनिया तक मिसाल के रूप में पेश करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्य योजना के साथ सामने आना चाहिए साथ ही देश के सशक्तविपक्ष के रूप में प्रधानमंत्री के समक्ष इस गांव को उनके कार्यक्रम मन की बात में शामिल करवाना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो निश्चीत तौर पर उस कांग्रेस की नींव की पत्थर कही जाने वाली गुजराती महिला स्वर्गीय कस्तुरबा गांधी बा का मान - सम्मान पूरी दुनियां में बढ़ेगा जो इस दुनियां में धनोरा जैसा आदर्श गांव को बनाने में मिल का पत्थर साबित हुई।
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