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चार माह पूर्व हुआ था विवाह, बिन शौचालय ससुराल में 24 घंटे भी नहीं रुकी नैन्सी
शिवपुरी. केन्द्र एवं प्रदेश सरकार एक ओर स्वच्छता अभियान के तहत जहां खुले में शौच मुक्त भारत बनाने की बात कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शिवपुरी जिले में अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते इस अभियान को जमकर पलीता लगाया जा रहा है। शिवपुरी नगर पालिका क्षेत्र से आज एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसमें घर में शौचालय न होने के कारण नवविवाहिता पति को छोड़ अपने मायके जा पहुंची। पति और ससुरालीजनों द्वारा कई प्रयास किए जाने के बाद भी जब नवविवाहिता ससुराल वापिस लौटकर नहीं आई तो यह मामला पुलिस तक जा पहुंचा। जहां परिवार परामर्श केन्द्र पर हुई काउंसलिंग के दौरान नवविवाहिता ने अपने बयान दर्ज कराते हुए कहा है कि जब तक ससुराल में शौचालय निर्माण नहीं हो जाएगा, वह अपने मायके से पति के घर नहीं जाएगी। आज सामने आए इस मामले ने टॉयलेट फिल्म की याद दिला दी। इस फिल्म में पत्नी पति के घर शौचालय न होने के कारण उसे छोड़कर चली गई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जितेंद्र शाक्य पुत्र मातादीन शाक्य उम्र 21 साल निवासी मदकपुरा लुधावली का 19 अप्रैल 2018 के दिन फतेहपुर निवासी नैन्सी शाक्य से विवाह हुआ था। पिता के घर से नैन्सी जब अपने ससुराल पति के घर पहुंची तो अगले दिन उसे मालूम चला कि ससुराल में शौचालय नहीं है और उसे खुले में शौच के लिए जाना पड़ेगा। ससुराल में शौचालय न होने के कारण पति पत्नी के बीच पहले दिन से ही तनातनी शुरू हो गई और स्थिति इतनी बिगड़ी की नवविवाहिता नैन्सी 24 घंटे भी ससुराल में नहीं रूकी और वह अपने मायके जा पहुंची। पति और ससुरालीजनों ने बहू को वापिस अपने घर लाने के कई प्रयास किए लेकिन नैन्सी ने ससुरालीजनों के सामने मांग रखी कि जब तक उनके घर में शौचालय नहीं बन जाएगा।
तब तक वह वापिस ससुराल लौटकर नहीं आएगी। नवविवाहिता के घर वापिस लौटकर न आने के चलते दोनों परिवारों के बीच तनातनी हो गई और स्थिति इतनी बिगड़ी की जितेंद्र शाक्य ने मामले की शिकायत 28 अगस्त के दिन महिला डेक्स पर कर दी। इस मामले की सुनवाई 9 सितम्बर के दिन परिवार परामर्श केन्द्र पुलिस कंट्रोल रूम पर हुई। यहां काउंसलरों के समक्ष नैन्सी शाक्य ने दिए बयानों में बताया कि जब तक उसके ससुराल में शौचालय निर्माण नहीं हो जाता वह पति के घर नहीं जाएगी।
*दो मांगे पूरी कराने के बाद कहा अब बनवाओ शौचालय*
पति के घर शौचालय न होने के कारण मायके गई। नैन्सी ने पहले पति से कहा कि वह अपने घर की दीवारों पर प्लास्टर करवाले। इसके बाद वह उसके साथ चलने को तैयार हो जाएगी। जितेंद्र शाक्य ने माली हालत होने के बाद भी घर की दीवारों पर जब प्लास्टर करा लिया तो नवविवाहिता ने दूसरी मांग रखते हुए कहा कि वह घर में गेस चूल्हा लेकर आए। पति द्वारा पत्नी की इस मांग को पूरा करने के बाद जब वह उसे लाने नैन्सी के घर पहुंचा तो नवविवाहिता ने इस बार तीसरी मांग रखते हुए पति से कहा कि पहले वह अपने घर में शौचालय निर्माण कराए, इसके बाद वह उसके साथ चलने के लिए तैयार है। यहां बता दें कि नैन्सी और जितेंद्र का विवाह सम्पन्न होने के बाद नवविवाहिता सिर्फ एक दिन के लिए अपनी ससुराल में रूकी थी। इसके बाद वह अमावश्या के दिन मटकी भरने के लिए ससुराल पहुंची थी और वह मटकी भरने के तत्काल बाद अपने पिता के घर वापिस लौटकर आ गई थी।
*ब्याज पर कर्जा लेकर कराया था पुत्र का विवाह*
जितेंद्र शाक्य का परिवार अति गरीब है। उसके घर में बीमार पिता मातादीन के अलावा, मां देवकी, छोटा भाई अन्नू, बहन कुसुम निवासरत हैं। पूरे घर का खर्चा चलाने की जिम्मेदारी जितेंद्र के कंधों पर है। उसके पिता बीमारी के चलते कोई काम नहीं कर पाते हैं। जितेंद्र के द्वारा पिछले समय दो कमरों का मकान बनवाया गया था। बतौर मातादीन का कहना है कि उसके पास जितेंद्र का विवाह करने के लिए पैसा नहीं था। उसने बाजार से ब्याज पर पैसा उठाकर अपने पुत्र का विवाह किया था और उसने विवाह से पहले ही नैन्सी के माता पिता को परिवार की पूरी हालत से अवगत करा दिया था। बावजूद इसके अब उसके पास शौचालय निर्माण के लिए पैसे नहीं हैं तो वह ऐसी स्थिति में क्या कर सकता है। हालांकि मातादीन का कहना है कि वह जल्द से जल्द शौचालय निर्माण कराकर बहू को घर वापिस लौटाकर लाएगा।
*स्वच्छ भारत अभियान को नपाकर्मी लगा रहे हैं पलीता*
शिवपुरी नगर पालिका क्षेत्र में स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते दिखाई दे रहे हैं। शहर के विभिन्न वार्डो में लगभग 4 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण होना था। जिसका कार्यादेश अंबर कंट्रक्शन कम्पनी को जारी हुए एक वर्ष से अधिक का समय गुजर गया है। बावजूद इसके अभी तक विभिन्न वार्डो में लगभग 1528 शौचलयों का ही निर्माण कराया जा सका है। लम्बा समय बीत जाने के बाद भी आज तक संबंधित कंट्रक्शन कम्पनी द्वारा शौचालय निर्माण नहीं कराए गए हैं। शौचालय निर्माण में बर्ती जा रही हीलाहवाली के जिम्मेदार नगर पालिका में बैठे इंजीनियर, अधिकारी और पदाधिकारी भी हैं। जिनके द्वारा ठीक ढंग से मॉनिटरिंग न की जाकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को मुंह चिढ़ाई करते हुए पलीता लगाया जा रहा है।
*चार गु्रपों मेंं बांटा शहर नहीं हो पा रहे समय पर शौचालय निर्माण*
स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहर में एबीसीडी गु्रप बनाए गए हैं। ए गु्रप में वार्ड 1 से 10 तक, बी ग्रुप में वार्ड 11 से 20 तक, सी गु्रप में वार्ड 21 से 30 तक, डी गु्रप में 31 से लेकर 39 तक को रखा गया है। जो 1528 शौचालय बने हैं। वह बीसीडी गु्रप में निर्माण किए गए हैं। बात अगर ए गु्रप की करें तो इसमें अभी तक कोई भी शौचालय निर्माण नहीं किया गया है। ए गु्रप में 1 से लेकर 10 नम्बर तक के वार्ड आते हैं। नगर पालिका के अधिकारी कर्मचारियों की हीलाहवाली का आलम देखिए की उनके द्वारा ए गु्रप में शौचालय निर्माण के लिए संबंधित फर्म को पहले तो समय पर कार्यादेश नहीं दिया गया। अब जबकि कार्यादेश जारी किया गया है तो संबंधित फर्म की मनमानी का आलम यह है कि उसके द्वारा अभी तक शौचालय निर्माण का कार्य शुरू नहीं किया गया है।
*ठेकेदार और नपाकर्मी मिलकर लगा रहे हैं करोड़ों का चूना*
स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण के लिए नियमानुसार हितग्राही को 1360 रूपए की राशि नपा में जमा कराना होती है। इसके बाद संबंधित ठेकेदार द्वारा शौचालय निर्माण कार्य शुरू किया जाता है। शेष राशि नपा द्वारा दी जाती है। इसके विपरित शहर में नपा कर्मचारी अधिकारियों और ठेकेदारों की मलीभगत से हो यह रहा है कि ठेकेदार बाला-बाला हितग्राहियों से सम्पर्क कर 1360 रूपए की राशि बसूलकर सीमेंट, बजरी और ईट हितग्राही के घर पर डलवा तो देते हैं लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं कराते। संबंधित ठेकेदारों द्वारा यह निर्माण लम्बे समय तक नहीं कराया जाता। जिसके चलते हितग्राही खुद ही अपनी जेब ढीली कर शौचालय निर्माण करा लेता है। शौचालय निर्माण के बाद ठेकेदार और नपाकर्मी मिलीभगत कर दी जाने वाली राशि को डकार लेते हैं।
*इनका कहना है*
वार्डो में होने वाले शौचालय निर्माण में नपा के इंजीनियर एवं ठेकेदार मिलीभगत कर लाखों के बारे न्यारे कर रहे हैं। गलत तरीके से ठेकेदारों द्वारा हितग्राहियों से 1360 रूपए की राशि बसूल कर बजरी, ईटें डलवादी जाती हैं। लेकिन निर्माण शुरू नहीं कराया जाता। बाद में जब हितग्राही खुद के पैसे से निर्माण करा लेता है तो नपा अधिकारी और ठेकेदार हितग्राही के हिस्से की राशि को डकार जाते हैं।
*सुरेंद्र रजक*
*वार्ड पार्षद 26*
शौचालय निर्माण में शहर के भीतर बड़े पैमाने पर अनियमियतायें बर्ती जा रही है। अधिकारियों से मिलीभगत कर संबंधित ठेकेदार हितग्राहियों से राशि बसूल लाते है। लेकिन इसके बाद वह हितग्राहियों के शौचालय निर्माण कार्य शुरु कराना तो दूर वह उनके फोन तक नहीं उठाते। इतना ही नहीं,ठेकेदारों की मनमानी का आलम यह है कि वह पार्षदों के फोन भी नहीं उठाते। नपा अधिकारी भी इस मामले में शिकायत होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है।
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