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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल सहित सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के विवरण पेश किए जाएं। कोर्ट ने साथ ही यह भी पूछा कि क्या इस संबंध में 2017 में कोर्ट के आदेश पर इन मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष न्यायालयों में ये मामले स्थानांतरित किए गए हैं।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर जरूरत पड़ी तो वह समय-समय पर पारित अपने आदेशों के अनुपालन की निगरानी करेगी। कोर्ट इसके लिए 11 सितंबर को केंद्रीय विधि मंत्रालय द्वारा पेश शपथपत्र से संतुष्ट नहीं था, जिसके बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया।
शपथपत्र में बताया गया कि कुल 1,233 आपराधिक मामलों को विशेष अदालतों में स्थानांतरित किया गया है। इनमें से 136 मामलों का निपटारा किया गया और बाकी 1,097 मामले लंबित हैं।
अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर पेश वकील साजन पवैया ने अदालत से आग्रह किया कि वह देखे कि क्या विशेष अदालतें सचमुच में काम करती हैं, क्योंकि उन्होंने राज्यों द्वारा गठित पोक्सो अदालतों का उदाहरण दिया, जोकि पीठासीन न्यायाधीशों की अनुपलब्धता के कारण नहीं चल पा रही हैं।
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