प्रवासी मजदूरों को मोहनश्री फाउण्डेशन ने पहुंचाया घर |
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
नागदा - कोरोना संक्रमण के कारण लागु लाकडाउन के दौरान मोहनश्री फाउण्डेशन नागदा द्वारा कई प्रवासी मजदूर जो कि पैदल अपने घरों की जा रहे थे, उन्हें साधन उपलब्ध करवाकर अपने घर तक पहुंचाया है।
इसी कड़ी में मोहनश्री फाउण्डेशन के संचालक मनोज राठी बारदानवाला ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के लिये लगाये गये केम्प के समापन के पश्चात् भी तीन दिन पूर्व जानकारी मिली कि बस स्टेण्ड पर एक व्यक्ति अपनी पत्नी एवं तीन वर्षीय बच्ची के साथ अपने घर जाने को लेकर परेशान है। तब उनसे मुलाकात की तो पता चला कि उक्त परिवार बड़ौदा से चलकर आया था जिन्हें मुरादाबाद, उ.प्र. अपने घर जाना था। दम्पत्ति के पास खाने एवं रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी। उन्हें मोहनश्री फाउण्डेशन द्वारा खाने की व्यवस्था की गई एवं नगर के ट्रांसपोर्ट व्यवसाईयों से मुरादाबाद जाने वाली गाड़ियों के लिये बात की की।
श्री राठी ने बताया कि मुरादाबाद निवासी अरूण कुमार अपनी पत्नी बच्चो के साथ काफी परेशान हो चुका था एवं अपनी छोटी बच्ची के साथ पैदल ही घर जाने को आतुर था। उन्हें विश्वास दिलाकर रोका गया एवं नगर के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी अन्नु भाई टेंकर वाले की गाड़ी द्वारा अपने घर की ओर रवाना किया।
इसी तरह नागदा नगर में ही रायपुर निवासी दो व्यक्ति जो कि ठेकेदारी में काम करके अपना जीवन यापन कर रहे थे। वे भी अपने घर जाने को लेकर परेशान थे। उन्हें भी गोल्डन केमिकल के संचालक गुलजारीलाल त्रिवेदी एवं अनिल सिंह दरबार के सहयोग से उनकी रायपुर जाने वाली गाड़ी में बैठाकर घर की ओर रवाना किया।
श्री राठी ने बताया कि दोनो व्यक्ति भोला पासवान एवं विनोद साहू मेहतवास से अपना किराये का घर खाली कर चुके थे। उनके पास रहने का कोई साधन नहीं था। तब उन्हें मोहनश्री फाउण्डेशन द्वारा संचालित मोहनश्री विद्यापीठ परिसर में ठहराकर उनके रहने एवं खाने की व्यवस्था भी फाउण्डेशन द्वारा की गई।
श्री मनोज राठी ने बताया कि मोहनश्री फाउण्डेशन द्वारा बायपास पर राजस्थानी होटल के समीप केम्प लगाकर प्रवासी मजदूरों के रहने एवं खाने से लेकर गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी। इस कड़ी में अभी तक 400 से अधिक प्रवासी मजदूरों को नगर के ट्रांसपोर्ट व्यवसाईयों के सहयोग से अपने घरो की ओर पहुंचा चुके है और अभी भी केम्प के समापन के पश्चात भी उनका यह कार्य सतत् जारी है।
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