Written by देवेंद्र सुरजन
toc news internet channel
उमा भारती द्वारा आसाराम का बचाव दुर्भाग्यपूर्ण है. यह आसाराम पर कोई पहला आरोप नहीं है जो उमा भारती जी इस ढोंगी का पक्ष भोलेपन में ले रही हों. आसाराम पर निरंतर यौन उत्पीडन के आरोप लगते रहे हैं लेकिन हर बार यह ढोंगी किसी न किसी तरह बच जाता है.आसाराम की ही तरह इनका बेटा नारायण सांई भी भोपाल बैरागढ़ के आश्रम में महिलाओं के साथ रंगरेलियां मनाते रंगे हाथ पकड़ा गया था लेकिन कानूनों कार्यवाही क्या हुई - किसी को पता नहीं चली.
आसाराम श्रीकृष्णजी बनकर इसने राधाजी के साथ झूला झूलते हुए एक पोस्टर भोपाल की दीवारों में बड़ी मात्रा में चस्पा करवाए थे तब भोपाल की आम जनता ने रोष प्रगट कर उन पोस्टरों को हटवाया था. लोगों का कहना था कि कहाँ राधा रानी और कहाँ ये ढोंगी उचक्का राधा जी के साथ झूला झूलने का स्वांग रच रहा है. क्या आसाराम श्रीकृष्णजी है जो यह मजे से राधारानी के साथ झूले पर हिलोरें ले. तब इसने भोपाल की जनता से बाकायदा माफ़ी मांगी थी. लेकिन उसका कृष्ण रुपी फोटो यदि अब तक प्रकाशित हो रहा है तो इसका साफ़ मतलब यही है कि इस अधर्मी ने अब तक उन चित्रों को नष्ट नहीं किया था और जब तब इस्तेमाल करता रहता है.
आसाराम के विभिन्न आश्रमों में छात्र छात्राओं से व्यभिचार किये जाने के कई मामले अब तक प्रकाशित हो चुके हैं. इसके अलावा छात्रों को रहस्यात्मक तरीके से मौत के घाट उतार देने के भी कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनमें मध्यप्रदेश का छिन्दवाडा आश्रम सबसे आगे है. यह जो नया आरोप नाबालिग लड़की द्वारा लगाया गया है वह भी छिन्दवाडा आश्रम की ही छात्रा है. दिल्ली के निर्भया बलात्कार कांड में जिस तरह से भोंडे बयान जारी करके आसाराम ने कुख्याति अर्जित की थी वह लोग अभी भूले नहीं होंगे कि ''यदि वह लड़कों को अपना भाई बना लेती तो शायद ब्लात्कारित होने से बच जाती''. ऐसे बचकाने बयान वही दे सकता है जो भ्रष्ट बुद्धि और अति यौनऊर्जा की समस्या से स्वयं पीड़ित हो.
इसके रंगीन मिज़ाज़ होने का एक और प्रमाण इसके आश्रमों में होने वाले होली उत्सव में मशीनीकृत पिचकारियों से विशेषकर महिलाओं पर जो निशाना साधा जाता है वह इसकी यौन ग्रस्त मानसिकता को साफ़ परिलक्षित करता है. विगत होली पर भी इसने आकंठ पानी की कमी के बावजूद नागपुर में होली आयोजन किया था और बड़ी बेशर्मी से जवाब दिया था कि हमने तो पानी खरीद कर होली मनाई है जिसको जो करना हो कर ले. कोई साधू से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती. साधू होता तो नागपुर में दो चार जगह पानी की स्थायी व्यवस्था करवा देता. पर जो आसाराम ने किया वह उसकी दूषित मानसिकता को उजागर करता है.
चार-पांच माह पूर्व आसाराम का तीन दिनी केम्प जबलपुर में लगा था जिसके समापन पर आसाराम ने अपने हाथों से एक युवा शिष्य को गिलास में कुछ पीने को दिया था जिसके तुरंत बाद वह शिष्य घर वापिस नहीं पहुंच पाया और रास्ते में ही दम तोड़ बैठा. फोरेंसिक लेबोरेटरी की रिपोर्ट को भी आसाराम ने मैनेज कर लिया और सामान्य हार्टफेल की घटना बता कर बच निकला. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का शासन है और वे आसाराम के काफी निकटस्थ हैं. उन्हीं के प्रयासों से फोरेंसिक लेबोरेटरी की रिपोर्ट में हेरफेर करवा दिया गया हो तो कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए.
विगत माह भी शिवराजसिंह जब बहुत आकुल व्याकुल हो रहे थे तब वे सीधे आसाराम के पास चित्त शान्ति पाने गए थे. आसाराम के आश्रम से ऐसा ही बयान जारी किया गया था. आसाराम पर विभिन्न आश्रमों से लगी ज़मीनें भी दबाने के कई मामले आरोपित हैं. इन पर भी लगे हाथ कार्यवाही की जाना चाहिए. आसाराम सहित कुछ और कथित बाबाओं पर काले धन को सफ़ेद करने के आरोप कोई पांच वर्ष पूर्व लगे थे. इस विषय में जांच खुर्दबुर्द कर दी गई, लगता है. जरूरी यह है कि इस अधर्मी, पाखंडी, दुश्चरित्र व्यक्ति पर उक्त तमाम आरोपों की गहरी छानबीन और जांच हो और सख्त सजा इसे दी जावे साथ ही इसकी साधू वेश में शैतान वाली छवि को व्यापक रूप से प्रसारित किया जावे ताकि यह फिर कभी जनता को मुंह दिखाने लायक न बचे.
देवेंद्र सुरजन के फेसबुक वॉल से.
No comments:
Post a Comment