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इससे गुस्साए लोगों ने पहले तो ड्राइवर की पीट-पीट कर और धारदार हथियार से हत्या कर दी। इसके बाद ट्रेन को आग लगा दी जिसमें ट्रेन के एसी कोच समेत कम से कम दस डिब्बे जलकर खाक हो गए, गार्ड को भी गुस्साए लोगों ने काफी पीटा, जिससे उसकी हालत भी गंभीर हो गई। गुस्साए लोगों के डर से रेलवे, स्थानीय प्रशासन और फायर ब्रिगेड के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच सके थे। गुस्साए लोगों के डर फायर ब्रिगेड की टीम कोपरिया स्टेशन पर रुक गई थी। मौके पर पहुंचे स्थानीय डीएम परवेज आलम की टीम को भी गुस्साए लोगों ने मौके से खदेड़ दिया था। गुस्साए लोगों ने सहरसा से समस्तीपुर जा रही पैसेंजर समेत दो पैसेंजर ट्रेनों में भी आग लगा दी थी। हादसे के बाद रेलवे ने सहरसा व कटिहार से मेडिकल ट्रेनें भेजी थीं लेकिन वह भी स्थानीय लोगों के गुस्से से घबराकर वह भी मौके पर नहीं पहुंच सके थे।
हादसे के बाद सामने आए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि हादसे की जिम्मेदार रेलवे है। उन्होंने रेलवे से मृतकों के आश्रितों को दस-दस लाख रुपए और नौकरी देने की मांग की। जद-यू नेता शरद यादव शरद यादव का कहना था कि रेलवे लाइन के पास कात्यायनी देवी का मंदिर है जिसके पास काफी लोग खड़े थे। करीब 80 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेन आई।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की पीड़ितों को हादसे का मुआवजा जल्द दिलाने की कोशिश होगी। पीएम मनमोहन सिंह ने गृह मंत्रालय को राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए और स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। बिहार के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर एसके भारद्वाज ने कहा है कि हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने मृतक के परिजनों को 2-2 लाख रुपए देने की घोषणा की। और घायलों का मुफ्त इलाज किया जाएगा। रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी ने हादसे के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इतना बड़ा मेला चल रहा था तो सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
सोमवारी मेले और कांवड़ियों की भी़ड़ बनी ट्रेन का शिकार
सोमवार होने की वजह से रेलवे लाइन के पास बने मंदिर में काफी भीड़ थी। सूत्रों के मुताबिक मरने वालों में कांवड़िए भी शामिल थे जो कात्यायनी मंदिर में जल चढ़ाने जा रहे थे। सावन का आखिरी सोमवार होने के कारण कांवरियों की ज्यादा भीड़ थी। इस दिन वहां सोमवारी मेला भी लगता है। ऐसे में लोग सीधे रेलवे ब्रिज की जगह लाइन पार कर रहे थे, इसी बीच राजरानी एक्सप्रेस धड़धड़ाते हुए यहां आ गई। इस ट्रेन का यहां स्टापेज नहीं था।
प्रत्यक्षदर्शी प्रखंड शिक्षा अधिकारी नित्यानंद ठाकुर ने बताया कि आक्रोशित लोगों ने चालक और गार्ड के साथ मारपीट की। उन्होंने कहा कि ट्रेन स्टेशन पर रूकती नहीं थी, इसके बावजूद ट्रैक पर भारी तादाद में कांवरिए थे। ट्रेन की रफ्तार तेज थी, जिससे उसकी चपेट में आकर कई कांवरियों की मौत हो गई। इसके बाद आक्रोशित लोगों ने ट्रेन के कई बोगियों में आग लगा दी। बता दें कि नित्यानंद उसी ट्रेन में सवार थे
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