By दिनेश शाक्य
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नवोदित आई.ए. एस. अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर भले ही खुद मुख्यमंत्री अखिलेश सफाई दे रहे हो उनके खिलाफ सांप्रदायिक सदभाव बिगाडने की कोशिश में कार्यवाही की गयी है लेकिन आमजन सब जानते है कि नोयडा के आसपास नदियों से हो रहे खनन के चलते यह कार्रवाई सत्तारूढ़ दल के माफियाओं के इशारे पर की गयी है। नदियों मे गैर क़ानूनी खनन अकेले नोयडा में ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के जिले इटावा में भी नदियों को उजड़ा जा रहा है। यह सब अफसरों की मेहरबानी पर हो रहा है। जो अफसर खनन मे खलल नहीं डाल रहा है उस पर सरकार की मेहरबानी बनी हुई है। पर्यावरण विज्ञानी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद भी इस सबसे अनजान बने हुए है। यहा सबसे बडा सवाल यही है जब मुख्यमंत्री को अपने जिले में होने वाला खनन नहीं दिख रहा है तो उत्तर प्रदेश के दूसरे हिस्से का खनन क्या नजर आयेगा?
प्रशासनिक अफसरों की मिली भगत से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिले इटावा मे छोटी बडी सभी नदियों मे बड़े स्तर पर हो रहे बालू खनन ने नदियो को उजाड कर रख दिया है। कभी नही सोचा गया था कि मुख्यमंत्री के जिले इटावा मे तैनात अफसर उनके खुद के जिले मे खनन माफियाओ से मिल कर खनन कराने मे जुट नदियो का सीना चीर डालेगे। बेहिसाब बालू खनन से इटावा मे प्रवाहित चंबल,यमुना समेत छोटी बडी सभी नदियो का स्वरूप बिगड रहा है। कहा यह जाता है कि बालू खनन के नाम पर प्रतिदिन कई लाख रूपये उन अफसरो की जेबो मे डाला जाता है इसी कारण ना तो पुलिस अफसरो और ना ही प्रशासनिक अफसरो को बालू खनन नजर नही आता।
इटावा और आसपास के इलाके मे पर्यावरण की दिशा मे काम करने वाली संस्था सोसायटी फार कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डा.राजीव चौहान का कहना है कि सत्तारूढ दल के समर्थक हथियारों की नोक पर बालू खनन करने मे लगे हुए है लेकिन ना तो पुलिस और ना ही किसी और विभाग के अफसर बालू खनन करने वालो को पकडने के लिये तैयार है।
इटावा के जिलाधिकारी पी. गुरूप्रसाद ने बताया है कि इटावा मे इस समय खनन हेतु कोई पट्टा स्वीकृत नही है और न ही खनन सामग्री के भण्डारण के लाइसेन्स की अनुमति है अतः यदि कही भी खनन हो रहा है तो अवैध श्रेणी में माना जायेगा और उसके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। इसी तरह जहॉ भी खनन सामग्री का भण्डारण रखा है वह अवैध मानते हुए जब्त कर कार्यवाही होगी। अभी किसी क्षेत्र में कोई पटटा खनन के लिये स्वीकृत नही है। इटावा जिले मे मध्यप्रदेश के भिंड की ओर से मौरम आती है इसकी भी वैधता की जॉच होगी।
खनन को लेकर कई तरह के सवाल इस कारण भी खडे हो रहे है मुख्यमंत्री के जिले इटावा मे बडे स्तर पर सरकार की ओर विकास कार्य कराये जा रहे है उसके लिये बडी तादात मे बालू की जरूरत पडती है अगर जिलाधिकारी की बात को सही मान लिया जाये कि खनन को कोई पटटा नही है तो फिर यहा पर हो रहे विकास कार्या के लिये बालू की भरपाई कैसे हो रही है। ऐसे मे यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि जब मुख्यमंत्री के जिले मे यह हाल होगा तो उत्तर प्रदेश के अन्य जिलो मे खनन के मामले मे कोई अफसर क्या कार्यवाही करने की हिम्मत जुटा पायेगा?
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