जादू के जोर पर धुंआ उगलने लगते है बंद भट्टे
कटनी से लखन लाल की रिपोर्ट..
(टाइम्स ऑफ क्राइम) toc news internet channel
कटनी . जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र इन दिनों काले सोने की बदौलत खासी अवैध कमाई कर रहा हैं। काला सोना यानि कोयले के इस अवैध कारोबार को मिला सरकारी संरक्षण व्यवसायियों के साथ-साथ यहां के अधिकारियों की जेबें गर्म कर रही हैं। तो दूसरी ओर प्रत्येक वर्ष शासन को करोड़ों रूपये का चूना भी लगा रहा है। व्यसायियों और अधिकारियों की मिलीभगत से पिछले कई वर्षों से जारी इस कारोबार से शासन को अब तक अरबों रूपये का नुकसान हो चुका हैं।
गौरतलब हैं कि आज से बीस वर्ष पूर्व कटनी को लाइमसिटी के नाम से जाना जाता था। उस समय कटनी जिले में लगभग 140 चूने के भट्टे हुआ करते थे। प्रदूषण विभाग द्वारा कुछ वर्षो पूर्व नगर निगम सीमा क्षेत्र में आने वाले भट्टों को बंद कर दिया गया था। इसके पश्चात कटनी में बचे हुये चूने भट्टों में काम काज समय के साथ-साथ धीमा होता चला गया। वर्तमान में कटनी जिले में बचे हुये भट्टों में से लगभग तीस भट्टों में चूने का उत्पादन पूर्णत: बंद है। किन्तु हैरानी की बात यह हैं कि इन भट्टों को चूना उत्पादन के लिये लद्यु उद्योग निगम के माध्यम से मिलने वाले कोयले की आपूर्ति लगातार जारी हैं।
चूने के उत्पादन हेतु कोयला प्राप्त करने की प्रकिया यह हैं कि व्यवसायी की जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र के माध्यम से आवेदक देना होता हैं। जिला उद्योग केन्द्र में पदस्थ संबंधित अधिकारी द्वारा जॉंच रिर्पोट प्रस्तुत किये जाने के बाद व्यवसायी को कोयला आवंटन की अनुशंसा की जाती हैं। आलम यह हैं कि जो भट्टे चूना उत्पादन कर रहे हैं उन्हें तो कोयले का डी.ओ. मिलता ही हैं साथ ही उन भट्टों को भी कोयले के डी.ओ. प्राप्त हो रहे हैं। जो कि पूर्णत: बंद है। जाहिर सी बात हैं कि जिन विभागीय अधिकारियों की यह ड्यूटी हैं कि भट्टे में उत्पादन जारी है या बंद है इस बात की निगरानी करें उन्होनें नोटों के बंडलों से अपनी ऑंखें बंद कर रखी है। विभागीय सूत्रों की माने तो ऐसे भट्टों की संख्या 30 से 35 के बीच है जिनसे अधिकारी मोटी रकम लेकर उन्हें बंद होने के बावजूद भी डी.ओ. जारी कर रहे हंै। कोयले के रेक कटनी से 20 किलोमीटर दूर झुकेही स्टेशन पर लगते हैं। जहां रात के अंधेरे में बकायदा पर्ची काटकर कोयला ट्रकों में लोड किया जाता है और देश के अन्य प्रदेशों में ऊॅंचीं कीमतों पर भेज दिया जाता है।
ऐसा नहीं है कि जिले में पदस्थ कलेक्टस को इस गोरखधंधे की जानकारी न लगी हो और उन्होंने कार्यवाही करने का प्रयास न किया हो। जब भी किसी कलेक्टर ने छापा मारने का प्रयास किया उनके हाथ असफलता ही लगी। जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक इधर छापे की तैयारी हुई और उधर इस कारोबार में लगे अधिकारियों ने व्यवसायियों को सूचना पहॅुंचाई। जादू के जोर पर बंद भट्टे वरिष्ठ अधिकारियों के पहॅुंचने के पहले ही धुंआ उगलने लगते हैं। सूत्र इस जादू का राज भी बताते हैं जिसके मुताबिक ऐसी ही अनचाही मुसीबत से निपटने के लिये भट्टा मालिक कोयले की बजरी का स्टॉंक रखते हैं। छापा की सूचना मिलते ही आनन-फानन में कोयले की बजरी पैरे के साथ भट्टे में डाल कर आग लगा दी जाती हैं जिससे देेखने वाले को यह लगता हैं कि धुंआ उगलता भट्टा चूने के उत्पादन में लगा हुआ हैं।
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