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भोपाल. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान में फर्जी एवं आरएसएस-भाजपा से जुड़े लोगों की बड़े पैमाने पर नियुक्तियां किये जाने का मामला सामने आया है. इन नियुक्तियों को तत्काल निरस्त करने और इस पर विचार-विमर्श के लिए महापरिषद् की बैठक बुलाने की मांग उठने लगी है. पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विगत दिनों विभिन्न पदों के लिए जारी भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की कई शिकायतें सामने आई हैं. विश्वविद्यालय में शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के करीब 220 पदों पर चयन कार्य में यूजीसी व विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है.
यहां तक कि टीचर्स-प्रोफेसर्स के इंटरव्यू के लिए चयन समिति का गठन नियमानुसार नहीं किया गया. इस बारे में कुलाधिपति, उपराष्ट्रपति एवं राज्यपाल को भी शिकायत की गई है. पूरी चयन प्रक्रिया बाहरी तत्वों के दबाव में पक्षपातपूर्ण ढंग से संचालित की गई है. इससे भी गंभीर बात यह है कि कुलपति महोदय ने इस सभी नियुक्तियों पर मोहर लगवाने के लिए अगले सप्ताह प्रबंध समिति की बैठक आयोजित की है जबकि नियमानुसार शिक्षकों व अधिकारी वर्ग की समस्त नियुक्तियों पर महापरिषद् की स्वीकृति जरूरी है.
तीन वर्ष पहले भी 27 अक्टूबर 2010 को आयोजित महापरिषद् ने ऐसी ही नियुक्तियों की पुष्टि की थी जबकि इस बार महापरिषद् के सदस्यों को अपने इस अधिकार से वंचित रखा जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा है कि आगामी नवंबर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसी स्थिति में इतने बड़े पैमाने पर नियुक्तियों का निर्णय दिसंबर तक टाला जाना चाहिए. उन्होंने विचार-विमर्श और स्वीकृति के लिए महापरिषद् की विशेष बैठक आहूत करने की मांग की है.
उधर, इसी मसले पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह भी सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों की जांच की मांग उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से की है. इस संबंध में उन्होंने उपराष्ट्रपति को पत्र लिखा है. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में पिछले दिनों जो नियुक्तियां हुई है वह पूरी तरह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंधित है. उन्होंने कहा कि इनकी नियुक्तियों में निर्धारित अर्हताओं और मापदंडों को भी नजर अंदाज किया गया है. सिंह ने विश्वविद्यालय में जो नियुक्तियां हुई है उसकी सूची भी उपराष्ट्रपति को अपने पत्र के साथ भेजी है. उन्होंने अनुरोध किया है कि इन नियुक्तियों की जांच के लिए किसी वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति करें.
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