toc news internet channel
मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ माता मंदिर दर्शन करने जा रहे श्रद्घालुओं की भीड़ में मची भगदड़ में करीब 115 लोगों की मौत हो गई है। हादसे में लगभग 100 अन्य लोगों के घायल होने की खबर है। मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि भगदड़ के दौरान नदी में कूदे कई लोग अभी लापता हैं। लापता लोगों की तलाश जारी है। इसी पुल के बह जाने से हुए हादसे में 2006 में 50 लोगों की मौत हुई थी। घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
भगदड़ की घटना के बाद गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसमें दो अधिकारियों सहित 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव एंटनी डीसा ने दतिया पहुंचने पर पत्रकारों को बताया कि फिलहाल 89 शव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने लगभग 100 लोगों के घायल होने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। गैरसरकारी सूत्रों के मुताबिक 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
आरोपों के मुताबिक मध्य प्रदेश में पुलिस का वीभत्स चेहरा देखने को मिला है। दतिया जिले के रतनगढ़ माता मंदिर में मची भगदड़ के लिए लोग पुलिस को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भगदड़ के बाद पुलिस ने जो किया उसे देख कर इंसानियत भी शर्मसार हो जाए। वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने आरोप लगाए कि पुलिस मरे पड़े कई लोगों के शवों को उठाकर नदी में फेंक रही थी। फेंकने से पहले पुलिस वाले शवों से जेवर और और पैसे निकालकर अपनी जेबें भर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शवों से जेवर उतारने के लिए पुलिस वालों में जैसे होड़ लगी हुई थी।
रतनगढ़ माता मंदिर के पास बसई घाट पर सिंध नदी का पुल टूटने की अफवाह और फिर पुलिस लाठीचार्ज से मची भगदड़ में 115 लोगो के मरने की खबर है। लोग आशंका जता रहे हैं कि मरने वालों की संख्या 200 से ऊपर जा सकती है। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त वहां करीब 1.5 लाख लोग मौजूद थे।
वहां मौजूद कई प्रत्यक्षदर्शी इसके लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि पुलिस वालों ने मरने वालों की तादाद छुपाने के लिए कई शवों को नदी में फेंक दिया। इनका यह भी आरोप है कि पुलिस वालों ने शवों को नदी में फेंकने से पहले उनके जेवर और रुपये-पैसे निकाल लिए। मध्य प्रदेश के ही भिंड की रहने वाली गीता मिश्रा ने स्थानीय संवाददाताओं से कहा, 'मैं भगदड़ के दौरान पुल पर ही थी। पुलिसवालों को 2 दर्जन से अधिक लोगों को नदी में फेंकते देखा।'
यही नहीं हादसे में बाल-बाल बचे दमोह के रहने वाले आशीष (15) ने बताया कि जब वह अपने 5 साल के भाई का शव लेने गया तो पुलिस वालों ने उसे नदी में फेंक दिया। आशीष को गंभीर चोटें आई हैं।
इधर, इस भयानक हादसे के बाद सियासत भी शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस हादसे के लिए शिवराज सिंह चौहान सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांग रही है। मुख्यमंत्री चौहान ने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है और निर्वाचन आयोग की अनुमति से मृतकों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की है। राज्यपाल रामनरेश यादव ने भी हादसे पर दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री सोमवार को घटनास्थल दौरा करेंगे।
गौरतलब है कि 2006 की नवरात्र में भी यहां ऐसा ही हादसा हुआ था। नदी पार करके दर्शन के लिए जा रहे करीब 55 तीर्थयात्री शिवपुरी के मनिखेड़ा बांध से पानी छोड़े जाने के कारण सिंध नदी में बह गए थे। तब आरोप लगे थे कि बांध से पानी छोड़ने की सूचना न होने के कारण हादसा हुआ था।
मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ माता मंदिर दर्शन करने जा रहे श्रद्घालुओं की भीड़ में मची भगदड़ में करीब 115 लोगों की मौत हो गई है। हादसे में लगभग 100 अन्य लोगों के घायल होने की खबर है। मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि भगदड़ के दौरान नदी में कूदे कई लोग अभी लापता हैं। लापता लोगों की तलाश जारी है। इसी पुल के बह जाने से हुए हादसे में 2006 में 50 लोगों की मौत हुई थी। घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
भगदड़ की घटना के बाद गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसमें दो अधिकारियों सहित 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव एंटनी डीसा ने दतिया पहुंचने पर पत्रकारों को बताया कि फिलहाल 89 शव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने लगभग 100 लोगों के घायल होने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। गैरसरकारी सूत्रों के मुताबिक 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
आरोपों के मुताबिक मध्य प्रदेश में पुलिस का वीभत्स चेहरा देखने को मिला है। दतिया जिले के रतनगढ़ माता मंदिर में मची भगदड़ के लिए लोग पुलिस को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भगदड़ के बाद पुलिस ने जो किया उसे देख कर इंसानियत भी शर्मसार हो जाए। वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने आरोप लगाए कि पुलिस मरे पड़े कई लोगों के शवों को उठाकर नदी में फेंक रही थी। फेंकने से पहले पुलिस वाले शवों से जेवर और और पैसे निकालकर अपनी जेबें भर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शवों से जेवर उतारने के लिए पुलिस वालों में जैसे होड़ लगी हुई थी।
रतनगढ़ माता मंदिर के पास बसई घाट पर सिंध नदी का पुल टूटने की अफवाह और फिर पुलिस लाठीचार्ज से मची भगदड़ में 115 लोगो के मरने की खबर है। लोग आशंका जता रहे हैं कि मरने वालों की संख्या 200 से ऊपर जा सकती है। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त वहां करीब 1.5 लाख लोग मौजूद थे।
वहां मौजूद कई प्रत्यक्षदर्शी इसके लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि पुलिस वालों ने मरने वालों की तादाद छुपाने के लिए कई शवों को नदी में फेंक दिया। इनका यह भी आरोप है कि पुलिस वालों ने शवों को नदी में फेंकने से पहले उनके जेवर और रुपये-पैसे निकाल लिए। मध्य प्रदेश के ही भिंड की रहने वाली गीता मिश्रा ने स्थानीय संवाददाताओं से कहा, 'मैं भगदड़ के दौरान पुल पर ही थी। पुलिसवालों को 2 दर्जन से अधिक लोगों को नदी में फेंकते देखा।'
यही नहीं हादसे में बाल-बाल बचे दमोह के रहने वाले आशीष (15) ने बताया कि जब वह अपने 5 साल के भाई का शव लेने गया तो पुलिस वालों ने उसे नदी में फेंक दिया। आशीष को गंभीर चोटें आई हैं।
इधर, इस भयानक हादसे के बाद सियासत भी शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस हादसे के लिए शिवराज सिंह चौहान सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांग रही है। मुख्यमंत्री चौहान ने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है और निर्वाचन आयोग की अनुमति से मृतकों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की है। राज्यपाल रामनरेश यादव ने भी हादसे पर दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री सोमवार को घटनास्थल दौरा करेंगे।
गौरतलब है कि 2006 की नवरात्र में भी यहां ऐसा ही हादसा हुआ था। नदी पार करके दर्शन के लिए जा रहे करीब 55 तीर्थयात्री शिवपुरी के मनिखेड़ा बांध से पानी छोड़े जाने के कारण सिंध नदी में बह गए थे। तब आरोप लगे थे कि बांध से पानी छोड़ने की सूचना न होने के कारण हादसा हुआ था।
No comments:
Post a Comment