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चीन के दक्षिणी गुआंग्डोंग प्रांत में स्थित लुफेंग के निवासियों को सोशल मीडिया पर एक ऑफिशियल सूचना मिलती है और वे हतप्रभ रह जाते हैं. ये सूचना दरअसल आमंत्रण है.
मृत्यु दंड देखने का आमंत्रण. और जनता आमंत्रण स्वीकार भी करती हैं. भारी मात्रा में ‘वेन्यू-स्थल’ पर एकत्रित होती है. दस-बीस नहीं, बीसियों हज़ार लोग. स्टूडेंट्स से लेकर बुजुर्ग तक.
जिन दस लोगों को मृत्यु दंड दिया जाता है, उनमें से सात लोग अतीत में ड्रग्स वगैरह के अवैध कारोबार में लिप्त पाए गए थे. और बाकी तीन मर्डर या लूट-पाट में. मृत्यु-दंड के सामूहिक प्रदर्शन का कारण यह बताया जाता है कि इससे ड्रग्स आदि में लिप्त लोग सीख ले सकें. और जो लिप्त नहीं है वो डिमोटिवेट हो सकें.
बस न्यूज़ यहीं पर खत्म हो जाती है. लेकिन जो खत्म नहीं होता वो है हमारा, हम सबका धीरे-धीरे असंवेदनशीलता के नित नए कीर्तिमान गढ़ना.
लोग मर रहे हों और आप उनको मरते हुए देख रहे हों. गोया कोई उत्सव, कोई फिल्म कोई नाट्य मंचन. आपको बाकयदा इस उत्सव को देखने के लिए निमंत्रण मिला हो. ऐसा होना कोई नया नहीं है. लेकिन ऐसा होना दुखद है. फिर वो कितनी ही बार हो, किसी भी कारण से हो और कहीं भी हो.
सोच के ही सिहरन हो जाती है कि जो सामने अब तक जिंदा है अब मर जाएगा. लेकिन मरने से पहले उसकी चीखने-चिल्लाने की आवाजें और उसके तड़पने के दृश्य हमेशा-हमेशा के लिए हमारी स्मृति में कैद हो जाएंगे.
या क्या पता ऐसा कुछ न हो. सब कुछ खत्म होने के बाद आप घर जाएं, खाना खाएं और सो जाएं. और आपको कोई डरावना सपना भी न आए. और अगर ऐसा कुछ होता है तो मान लीजिए कि आर्टिफीशीयल इंटेलिजेंस कुछ और नहीं, हमारा धीरे धीरे प्लास्टिक हो जाना, रोबोट हो जाना ही है.
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