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नई दिल्ली: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कम्युनिस्ट पार्टी के गढ़ रहे त्रिपुरा के ‘लाला किले’ पर बीजेपी का भगवा झंडा फहारा दिया है।
चुनाव परिणाम ने राज्य में 25 साल पुरानी वाम मोर्चे को उखाड़ फेंका और अब बीजेपी राज्य में ऐतिहासिक बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है, लेकिन अन्य चुनावों की तरह इस चुनाव में भी बीजेपी की बंपर जीत सवालों के घेरे में है।
दरअसल, कम्युनिस्ट पार्टी के गढ़ में वाम मोर्चा की शर्मनाख हार किसी को यकिन ही नहीं आ रहा है। लिहाजा अब पार्टी नेता भी इसे एक बड़ा झटका मान रहे हैं और इसके लिए बीजेपी पर गंभीर आरोप भी लगाए जा रहे हैं। त्रिपुरा में कम्युनिस्ट पार्टी की हार पर सीपीआई महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा कि यह परिणाम वाम मोर्चा के लिए एक झटका है।
उन्होंने कहा कि, हमें ऐसा लग रहा था कि कम बहुमत से ही सही इस पूर्वोत्तर राज्य में सत्ता बरकरार रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रेड्डी ने कहा कि, हमने त्रिपुरा में ऐसे परिणाम की उम्मीद नहीं की थी। हम वाम मोर्चे की जीत की उम्मीद कर रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी की बंपर जीत के लिए EVM को जिम्मेदार मानते हुए आरोप लगाया कि, ‘बीजेपी ने गड़बड़ी की, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है’।
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उन्होंने दावा किया, ‘मतदान वाले दिन 11 प्रतिशत ईवीएम काम नहीं कर रहे थे, जिससे संदेह पैदा होता है’। हालंकि बीजेपी की जीत को लेकर उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में वाम मोर्च के लंबे समय तक शासन के बाद शासन विरोधी लहर ने भी एक भूमिका निभायी होगी, लेकिन हम अपनी हार के कारणों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
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