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सियासत की दुनिया में अपना वो माना जाता है जो झूठ में भी हां में हां मिलाये। जो पार्टी के पक्ष में हमेशा बोले, कहे वही जिससे उनकी कुर्सी डगमगाये न। लेकिन सियासत में वो लोग भी आ जाते हैं जो बेबाक बोलने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन उनमें से कुछ का हाल जल्दी खराब भी हो जाता है, कुछ बचे रह जाते हैं। जिनका हाल डगमगा जाता है, उस सूची में सबसे बड़ा और पहला नाम आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास का आता है। जो पार्टी में तो हैं, लेकिन दिखते कभी नहीं। उसी बेबाकी वाली राह की एक शख्सियत और है, नाम है- ‘वरूण गाँधी’।
वरूण गाँधी इस समय बीजेपी के लिए कुमार विश्वास बन गये हैं। जो रैली को संबोधित करने तो जाते हैं बीजेपी की, लेकिन बोल कुछ ऐसे निकलते हैं जिससे लगता है कि अपनी ही सरकार की बुराई कर रहे हैं। उनके आर्टिकल देख लो या फिर उनके भाषण। दोनों में सरकार के लिए कोई न कोई सवाल छोड़ जाते हैं। जो कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी के लिए कर रहे थे। यानि कि देशहित में बोलना, गरीबों के लिए आवाज उठाना, वही वरूण गांधी भी कर रहे हैं। इस बार वरूण गांधी ने सरकार पर विधायकों और सांसदों की बढ़ी सैलरी पर सवाल दागा है।
वरूण गाँधी ने जयपुर के एक प्राईवेट यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा ‘‘क्या कोई आदमी अपनी तनख्वाह खुद बढ़ा सकता है या तय कर सकता है, अगर नहीं तो सांसद और विधायक कैसे खुद अपनी तनख्वाह कैसे निर्धारित कर सकते हैं?’’ उन्होंने कहा कि पिछले छह साल में सांसद और विधायक की वेतन 4 गुना बढ़ चुकी हैै। आपको बता दें कि वरूण गांधी इससे पहले भी अपना विरोध इस विषय पर दर्ज करा चुके हैं। उनका मानना है कि विधायकों और सांसदों को अपनी वेतन कम करके लोगों के भले में लगानी चाहिए। उन्होंने इस पर बाकायदा एक चिट्ठी लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर कहा था कि आर्थिक संपन्न विधायकों और सांसदों को अपनी वेतन छोड़नी चाहिए।
‘‘भारत में आर्थिक असमानता प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारत में एक प्रतिशत अमीर लोग देश की कुल संपत्ति के 60 प्रतिशत के मालिक हैं। 1930 में 21 प्रतिशत लोगों के पास इतनी संपदा थी। भारत में 84 अरबपतियों के पास देश की 70 प्रतिशत संपदा है। यह खाई हमारे लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। हमें जन प्रतिनिधि के तौर पर देश की सामाजिक, आर्थिक हकीकत के प्रति सक्रिय होना चाहिए।’’
ये बेबाक बयान वरूण गाँधी देशहित और समाज के लिए दे रहे हैं। लेकिन ये बीजेपी के लिए कहीं न कहीं नुकसानदेय है। जो विपक्ष के लिए एक मौका हो सकता है। हम इतना तो कह ही सकते हैं कि वरूण गांधी बीजेपी के कुमार विश्वास हैं।
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