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भोपाल. प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कांग्रेस नेता के.के मिश्रा के विरुद्ध भोपाल ज़िला न्यायालय में लगाए गए एक व्यक्तिगत मानहानि प्रकरण में 7 जुलाई 18 को जिला न्यायालय,भोपाल में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट माननीय प्रकाश कुमार उइके की अदालत में मुख्यमंत्री द्वारा शपथपूर्वक दिए गए अपने बयान में मिश्रा को “विकृत मानसिकता” वाला व्यक्ति बताए जाने को मानहानिकारक लांछन मानते हुए वरिष्ठ अभिभाषक श्री अजय गुप्ता ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को एक वैधानिक नोटिस भेज, उसकी प्राप्ति के तीन दिनों में माफ़ी माँगने को कहा है ,अन्यथा मुख्यमंत्री के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही किए जाने की बात भी कही है।
श्री गुप्ता द्वारा भेजे गए इस नोटिस में कहा गया है कि मुख्यमंत्री द्वारा मेरे पक्षकार के.के.मिश्रा के ख़िलाफ़ उक्त मानहानिकारक आक्षेप राजनैतिक कारणों से लगाया गया है ,जबकि वे मानसिक तौर पर पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता है और कांग्रेस पार्टी के कई अहम पदों पर कार्य कर रहे हैं।
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री को स्मरण दिलाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा ही पारित " टल हेल्थकेयर एक्ट -2017 " में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को उसके इलाज के अतिरिक्त किसी भी प्रयोजन हेतु मानसिक रूप से बीमार नहीं कहा जा सकता है, विशेषकर राजनैतिक कारणों से तो कतई नहीं।इसका उल्लंघन होने की दशा में 6 माह का कारावास और 10 हजार रु.जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
पारित अधिनियम में उक्त बीमारी को लेकर उपचाररत बीमार को जब बीमार नहीं कहा जा सकता है तो संवैधानिक पद पर काबिज़ एक मुख्यमंत्री द्वारा न्यायालय में शपथपूर्वक दिए गए अपने कथन में मानसिक रूप से स्वस्थ्य किसी व्यक्ति को किस आधार/प्रमाण के आधार पर "विकृत मानसिकता" वाला घोषित करार किया गया ! मुख्यमंत्री का यह प्रामाणिक कथन IPC की धारा- 499-500 के तहत मानहानिकारक है।लिहाजा,मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान मिश्रा से माफ़ी मांगे,अन्यथा उनके विरुद्ध कानूनी कार्य वाही की जाएगी*।
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